भारतीय कृषि मौसम आधारित खेती है,भारतीय कृषक अपनी खेती के लिए तक़रीबन – तक़रीबन मानसून की वर्षा पर निर्भर करता है। जानकारी के अनुसार मौसम विज्ञानियों के एक समूह ने ऋतुओ पर आधारित भारतीय कृषि करने वाले किसानो के लिए एक नयी तकनीक विकसित की है। जिसके द्वारा मानसून के आगमन से पूर्व उसमें हो रहे अपेक्षित बदलावों का समय से पूर्व अनुमान लगाया जा सकेगा।
ब्रिटेन में दीर्घकालीन ग्लोबल मौसम पूर्वानुमान प्रणाली पर शोध करने एक लिए वैज्ञानियो ने यह अनुमान लगाने का प्रयास किया की ग्रीष्मकाल में मानसून कब से आरम्भ होगा। यह शोध यूरोपीय मध्यम अवधि ऋतु पूर्वानुमान सेंटर में किया गया। इस शोध के जरिये विकसित की गयी प्रणाली का मकसद मानसून में होने वाली फसलों को होने वाले हानि से बचाना है।
क्लाइमेट डायनामिक्स में प्रकाशित एक शोध के अनुसार इस विकसित प्रणाली की सहायता से भारतीय कृषि पर मानसून का पड़ने वाले प्रभाव के पूर्वानुमान को बेहद सटीक तरीके एक महीने पहले उपलब्ध कराया जा सकता है। ब्रिटेन में चल रहे इस शोध में भारतीय विज्ञानी भी सम्मिलित थे।