भारतीय स्पेस एजेंसी ISRO एक के बाद एक सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन को अब नए और महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने की सलाह देते हुए कहा है, कि 2035 तक चाँद पर ‘भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन’ स्थापित करने और वर्ष 2040 तक किसी भारतीय को चन्द्रमा की सतह पर भेजने का लक्ष्य होना चाहिए। पीएम मोदी ने इसके साथ ही अन्य ग्रहों से संबंधित मिशन पर भी काम तेज करने के सुझाव दिए है।
मंगलवार (17 अक्टूबर 2023) को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय अंतरिक्ष मामलों के मंत्री जितेंद्र सिंह और इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने ‘गगनयान’ और अन्य अंतरिक्ष अभियानों के भविष्य के विषय में समीक्षा की गई। रिपोर्ट्स के अनुसार, अब पीएम मोदी द्वारा दी गई निर्धारित समय अवधि के हिसाब से इसरो काम करेगा। इसमें अगले ‘चंद्रयान’ मिशन, नेक्स्ट जनरेशन लॉन्च व्हीकल (NGLV), नए लॉन्चपैड का निर्माण और ह्यूमन सेंट्रिक लेबोरेटरीज की स्थापना शामिल है।
Reviewed the readiness of the Gaganyaan Mission and also reviewed other aspects relating to India’s space exploration efforts.
India’s strides in the space sector over the past few years have been commendable and we are building on them for more successes. This includes the… pic.twitter.com/8Fi6WAxpoc
— Narendra Modi (@narendramodi) October 17, 2023
इस महत्वपूर्ण बैठक में अंतरिक्ष विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष प्रेजेंटेशन देते हुए बताया, कि ‘गगनयान’ मिशन को लेकर अब तक कौन-कौन से कार्य लिए गए है और भविष्य की क्या योजनायें है। उन्होंने बताया, HLVM3 (ह्यूमन रेटेड लॉन्च व्हीकल) के जरिये 3 बिना क्रू वाले टेस्ट अभी किए जाने है।
इसरो अधिकारियों ने बताया, कि 21 अक्टूबर को पहला ऐसा मिशन का परिक्षण किया जायेगा, जिसके तहत आउटर स्पेस में भेजकर क्रू मॉड्यूल को वापस धरती पर लाया जाएगा। इसके बाद ‘व्योममित्र’ नाम के एक हुमानोइड रोबोट को विकसित किया जाएगा, जिसे मिशन में भेजा जाएगा। 2025 में 2-3 अंतरिक्ष यात्रियों के साथ अंतिम मिशन टेस्ट किया जाएगा।
बैठक के दौरान पीएम मोदी ने अंतरिक्ष में नई उपलब्धियों को छूने की भारत की क्षमता पर भी बात की। बता दें, अब तक अमेरिका, रूस और चीन ही अंतरिक्ष में किसी मानव को भेज पाने में सफल हो पाए है। इसके लिए 5.3 टन का एयरक्राफ्ट का निर्माण किया जा रहा है। 2023 में ‘क्रू एस्केप सिस्टम’ का भी परिक्षण किया जायेगा।