सहारा इंडिया ग्रुप के मुखिया सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा का मंगलवार (14 नवंबर 2023) को निधन हो गया है। बताया जा रहा है, कि वह एक लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे। सहारा परिवार के मुखिया का मुंबई के एक निजी अस्पताल में उपचार चल रहा था। उनका पार्थिव शरीर बुधवार को लखनऊ के सहारा शहर लाया जाएगा, जहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी। कारोबारी और राजनीतिक जगत के दिग्गज हस्तियों ने सुब्रत राय के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, सहारा परिवार के मुखिया सुब्रत रॉय लंबे समय से बीमार चल रहे थे। तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें बीते रविवार को मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सहारा कंपनी ने एक बयान जारी कर कहा है, कि उनका निधन कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट की वजह से हुआ है। 75 वर्षीय सुब्रत रॉय उच्च रक्तचाप और मधुमेह रोग से लंबे समय से जूझ रहे थे। अंत: कार्डियोरेस्पिरेटरी अरेस्ट के चलते मंगलवार रात 10.30 बजे उनका निधन हो गया।
Sahara Group founder Subrata Roy dies aged 75.#Sahara #SaharaGroup #SubrataRoy #SubrataRoyNoMore pic.twitter.com/P6SXMJlFEv
— IndiaToday (@IndiaToday) November 14, 2023
सुब्रत रॉय का जन्म बिहार के अररिया में 10 जून 1948 के दिन हुआ था। उनके पिता सुधीर चंद्र रॉय मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे। सुब्रत बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में काफी तेज थे। ऐसे में उन्होंने गोरखपुर स्थित सरकारी तकनीकी संस्थान से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद कई नामी-गिरामी कंपनियों में नौकरी भी की थी। इसके बाद उन्होंने सहारा समूह की स्थापना की और सफलता की उन बुलंदियों को हासिल किया, जो आम आदमी के लिए किसी सपने को जीने जैसा होता है।
सुब्रत रॉय ने ना सिर्फ रियल एस्टेट की दुनिया में नाम कमाया, बल्कि उन्होंने एयरलाइन से लेकर सिनेमा की दुनिया तक में जमकर हाथ आजमाया। इस दौरान भाग्य ने भी उनका बखूबी साथ दिया और वह सफलता की सीढ़ियां चढ़ते चले गए। बताया जाता है, कि 30 साल की उम्र में उनके पास मात्र 2000 रुपये थे। एक समय यह भी स्थिति थी, कि एसबीआई ने उन्हें पांच हजार रुपये का लोन देने से मना कर दिया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसके बाद सुब्रत रॉय अपने मित्र के साथ मिलकर एक चिट फंड कंपनी की नींव रखी। अस्सी के दशक में 100 रुपये कमाने वाले लोग उनके पास 20 रुपये जमा करते थे। कम धन निवेश करने की योजना के चलते लाखों की संख्या में लोग उनकी कंपनी में निवेश करने लगे। इसके बाद उनकी कंपनी और संपत्ति दोनों में लगातार वृद्धि होने लगी। हालांकि बाद में एक समय वो भी आया, कि जब उन पर लाखों निवेशकों के रुपये लेकर बैठने का आरोप लगने के चलते नियामक जांच एजेंसियां और पुलिस उनके पीछे लग गई।