राजस्थान के उदयपुर में कन्हैया लाल की निर्मम हत्या को अंजाम देने के बाद मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने एक वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया में अपलोड कर दिया था। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए भाजपा से निलंबित नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बताते हुए कहा है, कि यह उनकी ही लगाई आग है, और इसके लिए उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिए।
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— Live Law (@LiveLawIndia) July 1, 2022
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस परदीवाला की बेंच के समक्ष नुपूर शर्मा ने अपनी याचिका में कहा था, कि पैगंबर मोहम्मद के संबंध में पूछे गए उनके सवाल के बाद उन्हें मौत की धमकियाँ दी जा रही है। इन हालातों में जो भी विभिन्न राज्यों में उनके विरुद्ध केस दर्ज हुए है, उसे दिल्ली में स्थानांतरित किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए नुपूर शर्मा पर टिप्पणी करते हुए कहा, कि उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिए।
उल्लेखनीय है, कि सर्वोच्च अदालत बीते 28 जून को हुई निर्मम हत्या के लिए नूपुर शर्मा के उस बयान का उल्लेख कर रही थी। जो उन्होंने एक न्यूज बहस के दौरान शिवलिंग के अपमान के जबाव में दिया था। इसे कुछ लोगो द्वारा कथित तौर पर ईशनिंदा बताया गया। उन्हें दुनिया भर से धमकी दी जा रही है। सियासी पार्टी भाजपा ने भी उन्हें निलंबित कर दिया था। इस मसले पर नूपुर शर्मा स्वयं भी इसके लिए माफी माँग चुकी है। इसी प्रकरण पर अदालत ने कट्टरपंथी तत्वों द्वारा अंजाम दी जा रही हिंसक घटनाओं को एक किनारे रखते हुए देश के परिस्थतियों के लिए नुपूर शर्मा को जिम्मेदार बताया है।
BREAKING: Nupur Sharma’s plea to club cases and transfer to SC dismissed, bench asks her to approach relevant HCs. Also asks why Delhi Police hasn’t taken any action against her so far.
— Shiv Aroor (@ShivAroor) July 1, 2022
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, शीर्ष अदालत ने कहा, कि नुपूर की जुबान फिसलने से पूरा देश जल रहा है। कोर्ट में जस्टिस परदीवाला ने नुपूर शर्मा के लिए ये तक भी कहा, कि उनके गुस्से की ही प्रतिक्रिया के परिमाणस्वरूप ही उदयपुर में अनहोनी हुई और एक दर्जी की हत्या की गई। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वोच्च अदालत ने पूछा, कि आखिर टीवी चैनल और नुपूर शर्मा का एजेंडा फैलाने के अलावा काम क्या था, कि वो इस मामले पर बात करें? इस पर कोर्ट को नुपूर शर्मा के अधिवक्ता ने बताया, कि नुपूर शर्मा ने इस मामले में माफी माँग कर अपने शब्द भी वापस ले लिए थे। कोर्ट ने इस पर कहा, कि उन्हें टीवी पर देश से माफी माँगनी चाहिए। उन्होंने बहुत विलंब से क्षमा माँगी और साथ में कंडीशन भी जोड़ी, कि अगर भावना आहत हुई तो वो माफी माँगती है।
नूपुर शर्मा का पक्ष रखते हुए उनके अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया, कि नुपूर शर्मा के जीवन को खतरा है, तो इस पर जस्टिस सूर्य कांत ने टिप्पणी करते हुए कहा, कि नुपूर शर्मा को खतरा है, या वे देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन गई है? जिस तरह उन्होंने देश में भावनाओं को भड़काया, उसके लिए देश में जो कुछ हो रहा है, उसके लिए उन्हें एकमात्र जिम्मेदार माना जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने नुपूर शर्मा को राहत देने से इंकार करते हुए कहा, कि वो चाहें तो हाईकोर्ट जा सकती है, लेकिन उनकी ओर से इस मामले में राहत नहीं दी जाएगी।
नुपूर शर्मा के अधिवक्ता ने शीर्ष अदालत ने बताया, कि नुपूर शर्मा किसी भी जाँच से भाग नहीं रही है, बल्कि वह जाँच में सहयोग कर रही है। इस पर भी कोर्ट ने कटाक्ष करते हुए कहा, कि तब तो उनके लिए रेड कार्पेट होना चाहिए।
When Nupur Sharma's lawyer tells Supreme Court that she is joining the investigation and not running away, Supreme Court says – there must be a red carpet for you there.
— ANI (@ANI) July 1, 2022
नुपूर शर्मा को मिल रही जान से मारने की धमकियों और देश में घटित हो रही कट्टरपंथी हिंसक घटनाओं के बीच शीर्ष अदालत की ऐसी प्रतिक्रिया के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स खासे नाराज नजर आ रहे है। सोशल मीडिया पर यूजर्स द्वारा पूछा जा रहा है, कि नुपूर सिर्फ अपनी याचिकाओं को दिल्ली स्थांतरित करने की माँग कोर्ट गई थी। यदि कोर्ट को आपत्ति थी, तो स्पष्ट मना किया जा सकता था। ये सब कहने की क्या जरुरत। बिना सुनवाई के उन्हें मामले में दोषी बनाया जा रहा है।
“नूपुर शर्मा की वजह से उदयपुर की घटना हुई: सुप्रीम कोर्ट.”
मैं समझता हूँ माननीय उच्चतम न्यायालय का ये वक्तव्य नूपुर शर्मा के विरुद्ध भावनाएँ भड़का सकता है, उनकी जान ख़तरे में पड़ सकती है.
जूडिशीएरी भी शब्द सम्पादित किए बिना बोलने लग जाए, तो निस्संदेह हम कठिन समय से गुजर रहे है!— Manoj Muntashir (@manojmuntashir) July 1, 2022
गौरतलब है, कि नुपूर शर्मा मामले में शीर्ष अदालत की टिप्पणियाँ के बाद सोशल मीडिया पर यूजर्स जानकारी शेयर करते हुए बता रहे है, कि जिन जजों ने नुपूर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के बदले उन्हें दोषी ठहराया उनमें से एक जस्टिस पारदीवाल है, जो वर्ष 1989 से 1990 में कांग्रेस पार्टी के विधायक रह चुके है, और दूसरे जस्टिस सूर्यकांत है, जिनके ऊपर भ्रष्टाचार के बेहद गंभीर आरोप रहे है, जिसके चलते जस्टिस एके गोयन ने उनकी नियुक्ति पर विरोध भी किया था।
Justice AK Goel had objected against appointment of Justice Surya Kant because of serious corruption allegations against him but Collegium didn't listen. Now don't ask me who Justice Surya Kant is.https://t.co/dbsf16ohGI
— अतुल (@amz360) July 1, 2022