मध्य प्रदेश स्थित जबलपुर में सिक्योरिटी गार्ड का काम करने वाले राजकरन बरौआ गणित विषय से MSc करने को लेकर धुन के इतने पक्के थे, कि 25 वर्षो तक लगातार प्रयास करते रहे और 23 बार असफलता का मुँह देने के बावजूद आखिरकार परीक्षा पास कर अपना लोहा मनवाया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, MSc गणित की डिग्री हासिल करने के बाद राजकरन बरौआ ने कहा, अब मेरे पास डिग्री है।”
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 56 वर्षीय राजकरन ने अपने जीवन के आधे साल गणित विषय में मास्टर डिग्री हासिल करने में लगा दिए। उन्होंने एक सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर डबल शिफ्ट में नौकरी करने के बाद भी पढ़ाई का जुनून नहीं छोड़ा। आखिरकार साल 2021 में वो MSc गणित की परीक्षा पास करने में सफल हो गए।
He's done it. He doesn't have a home, a family, savings or a steady job. "But mere paas degree hai" Rajkaran Baraua now says, with pride. An MSc in maths at that, and one that took 25 years.
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— The Times Of India (@timesofindia) November 28, 2023
राजकरन ने बताया, कि 2015 में टीओआई की रिपोर्ट से उन्हें बहुत हौसला मिला। उन्होंने कहा, “ जब मैं अपने 18वें प्रयास में भी नाकाम हो गया, उस वक्त बेहद निराशा अनुभव कर रहा था, लेकिन एक बार मेरे बारे में खबर छपने से लोगों ने मुझे अलग तरह से देखना शुरू कर दिया। टीवी चैनल मेरी तलाश में आए। यह मेरे लिए प्रेरणा का एक बहुत बड़ा स्त्रोत था।”
राजकरन रात की शिफ्ट में सुरक्षा गार्ड का काम करते है। उनका कहना है, “मैं कठिन परिस्थितियों से अपना जीवन चला पाता हूँ, लेकिन पिछले 25 साल में मैंने परीक्षा पास करने के लिए किताबों, परीक्षा शुल्क और संबंधित चीजों पर 2 लाख रुपए खर्च किए हैं।” गणित में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री को लेकर जुनूनी होने की वजह बताते हुए कहते है, “1996 में एमए करने के बाद, मैं एक स्कूल गया और वहाँ छात्रों से बातचीत की। मैंने जिस तरह से बच्चों को गणित पढ़ाया, शिक्षकों ने उसकी सराहना की। इससे गणित में पीजी करने का विचार आया।”
वो आगे बताते हैं, “उन दिनों, आपके पास एक वैकल्पिक विषय के साथ एमएससी करने का विकल्प था। मैंने 1996 में जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में गणित में एमएससी के लिए आवेदन किया और उसे स्वीकार कर लिया गया।” हालाँकि उन्होंने कहा, कि उन्होंने कभी इस बात का अंदाजा नहीं लगाया था, कि ये इतना कठिन होगा।
उन्होंने कहा, कि 1997 में पहली बार एमएससी की परीक्षा में बैठा और फेल हो गया। अगले दस साल तक मैं पाँच विषयों में से केवल एक में ही उत्तीर्ण हो सका, लेकिन कभी भी मैंने हार स्वीकार नहीं की। मैंने इस बात की परवाह नहीं की, कि लोग क्या कहते हैं और मैंने अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित किया।
राजकरन ने कहा, आखिरकार, 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान, मैंने अपनी पहले साल की परीक्षा पास कर ली और 2021 में मैंने दूसरे साल की परीक्षा भी पास कर ली। उन्होंने कहा, “इस सबसे मैंने सीखा, कि लगातार प्रयास और धैर्य से हम सब कुछ हासिल कर सकते है।”