एक समय पर भारतीय हिंदी सिनेमा का दुनिया में प्रतिनिधित्व करने वाला बॉलीवुड आज एक वामपंथी गिरोह का समूह बनकर रह गया है। इस तथाकथित सेक्युलर गैंग ने अपने अनैतिक फायदों के लिए कई मापदंड स्थापित किये है। कई श्रेणियों में वर्गीकृत इस गैंग के संचालक बॉलीवुड की फिल्मो में चेहरा से लेकर फिल्मों की कहानी और संवाद तय करते है। इनकी विचाधारा के विपरीत जाने वालो को नेपथ्य पर धकेल दिया जाता था, और बॉलीवुड के इस प्रोपेगंडा गैंग से पंगा लेकर कोई अपनी फिल्म रिलीज करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था।
लेकिन ‘द कश्मीर फाइल्स’ के रूप में संभवत: एक सकारात्मक किरण अब नजर आने लगी है। बेहद लंबे अंतराल के बाद एक ऐसी फिल्म आई है, जिसे दर्शकों ने सिर्फ देखा,बल्कि महसूस भी किया है। कश्मीरी हिंदुओ के पलायन और नरसंहार पर बनी ‘द कश्मीर फाइल्स’ के साथ दर्शको ने आतंरिक चेतना और तार्किक रूप से जुड़ा हुआ महसूस किया। जिन कश्मीरी हिंदुओ के परिजनों के साथ ये विभस्त और सुनियोजित अमानवीय घटना हुई है, वो अपने भूतकाल को सिनेमा के जरिये देख रहे है।
इसी को प्रतिबिंबित करता एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है, जिसमें एक महिला फिल्म समाप्त होने के बाद सिनेमा हॉल में मौजूद निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के पैरों को छू लेती है। वह महिला फिल्म को देखकर इतना भावुक हो गई, कि उन्हें अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करने का शायद इससे बेहतर तरीका कुछ और नजर नहीं आया। इस वीडियो को विवेक अग्निहोत्री ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
टूटे हुए लोग बोलते नहीं उन्हें सुना जाता है…#TheKashmirFiles#RightToJustice pic.twitter.com/qGOGhAhbZ8
— Vivek Ranjan Agnihotri (@vivekagnihotri) March 13, 2022
वीडियो में यह स्पष्ट नजर आ रहा है, कि महिला फिल्म देखकर इतनी उद्वेलित थी, कि उम्र के करीब पाँचवें पड़ाव पर पहुंच कर यकायक विवेक अग्निहोत्री के पैरों में गिर जाती है। विवेक उन्हें सहारा देकर उठाते है, और गले से लगा लेते हैं। इस दौरान महिला हाथ जोड़े फूट-फूट कर रोते हुए विवेक से कहती है, आपके सिवाय कोई और ये नहीं कर सकता। हमारे चाचा को ऐसे ही मारा था। हमने वो सब देखा है।
कश्मीरी हिंदुओ के नरसंहार पर आधारित ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक सिनेमा नहीं, बल्कि वो सच्चाई है, जिसे अभी तक लोगो के सामने लाने से रोका गया है। उस भयावह वेदना के प्रत्यक्षदर्शी आज अपने दर्द भरे अतीत को देखकर बेहद भावुक है। इस फिल्म को देखकर लोगो के अंदर जो जागरूकता आ रही है, वह किसी कलाकार और निर्देशक के लिए पुरस्कार से भी बड़ा सम्मान है। कश्मीरी हिंदुओ का दर्द पर्दे पर निर्देशक के साथ फिल्म के कलाकारों ने जस का तस उकेरा है। बता दें, अनुपम खेर स्वयं कश्मीर पंडित है, और उन्होंने इस सच्चाई को अतीत में जिया है।