कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने कांग्रेस पार्टी साथ छोड़ दिया है। खबरों के अनुसार, कपिल सिब्बल ने बुधवार को समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्य सभा के लिए पर्चा दाखिल किया है। कपिल सिब्बल ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की उपस्थिति में नामांकन कराया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के अलावा सपा सांसद राम गोपाल यादव भी मौजूद रहे।
#WATCH | Uttar Pradesh: Congress leader Kapil Sibal files nomination for Rajya Sabha election, in the presence of Samajwadi Party (SP) chief Akhilesh Yadav, in Lucknow. pic.twitter.com/8yRDoSwE3g
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 25, 2022
बुधवार 25 मई 2022 को लखनऊ में कपिल सिब्बल ने अपना नामांकन पर्चा भरा। इस मौके कपिल सिब्बल ने बताया, कि उन्होंने 16 मई को ही कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। 2016 में सिब्बल को तत्कालीन सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी द्वारा समर्थित कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदन के लिए चुना गया था। कयास लगाए जा रहे है, यदि कपिल सिब्बल सपा की सहायता से राज्यसभा जाते है, तो ये जरूर आजम की नाराजगी दूर करने में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी को एक बड़ा नेता और कानूनी सलाहकार भी मिल जाएगा।
जानकारी के लिए बता दें, कि उत्तर प्रदेश में राज्य सभा की 11 सीटों पर चुनाव होने है। इसमें से भारतीय जनता पार्टी सात और समाजवादी पार्टी तीन सीट जीत सकती है। वहीं 11वीं सीट के लिए चुनाव की जरुरत होगी। नामांकन से पहले बुधवार को कपिल सिब्बल ने सपा कार्यालय जाकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की। इसके बाद वे सपा कार्यालय से अखिलेश यादव के साथ नामांकन पर्चा भरने पहुंचे। सपा पार्टी ने कपिल सिब्बल को समर्थन दिया, जबकि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी राज्यसभा जाएंगी।
उल्लेखनीय है, कि 11 में से 8 सीटों पर भाजपा के आसानी से जीत दर्ज करने की उम्मीद जताई जा रही है। ऐसे हालात में कपिल सिब्बल के जरिए अखिलेश यादव बड़ा सियासी दांव खेल करते नजर आ रहे है। अखिलेश यादव कपिल सिब्बल के जरिए 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के वोट बैंक को यह संकेत देने की कोशिश करते दिखेंगे, कि जिस वरिष्ठ चेहरे को उनकी पार्टी के नेतृत्व ने ही वरीयता नहीं दी, उसे सपा पार्टी ने उचित सम्मान दिया। यह कांग्रेस के वोट बैंक पर सेंध लगाने के तौर पर भी देखा जा रहा है।