बिहार के अररिया जिले से एक संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया है। पूछताछ के दौरान संदिग्ध ने बांग्लादेशी नागरिक होने की बात कबूल कर ली है। बांग्लादेशी नागरिक की गिरफ्तारी की खबर फैलने के बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया। आरोपी नवाब (24 वर्ष) बांग्लादेश के चापा नवाबगंज जिले का निवासी बताया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेशी नागरिक नवाब लगभग तीन साल से अररिया के रामपुर कोदरकट्टी पंचायत के मरंगी टोला वार्ड 11 में अपनी पहचान छिपाकर रह रहा था। इस दौरान उसने एक स्थानीय महिला से निकाह कर लिया और एक बच्ची का अब्बू भी बन चुका था। बताया जा रहा है, कि नवाब बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में घुसा और जल्द ही उसने आधार कार्ड, वोटर आईडी बना लिए।
रिपोर्ट्स के अनुसार, संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिक की पहचान का खुलासा उस वक्त हुआ जब पासपोर्ट वेरिफिकेशन के दौरान स्थानीय मुखिया पम्मी देवी के पति राजेश सिंह ने उसके दस्तावेजों में फर्जीवाड़े की पहचान की। दरअसल, संदिग्ध की वोटर आईडी में पिता के स्थान पर बेगम रंगीला खातून का नाम अंकित होने से शक गहरा गया।
इसके बाद जब उससे सख्ती से पूछताछ की गई, तो नवाब ने कबूल किया, कि वह बांग्लादेश का नागरिक है और अवैध घुसपैठ के जरिये भारत में घुसा था। बांग्लादेशी नागरिक नवाब के फर्जी दस्तावेज और अवैध गतिविधियों के खुलासे के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
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— Araria police (@ArariaP) October 5, 2024
पुलिस की पूछताछ में नवाब ने यह बताया, कि वह बांग्लादेश से सिर्फ पांच सौ-हजार रुपये देकर नदी पार कर भारत आया था। भारतीय बॉर्डर पार करने के बाद संदिग्ध सबसे पहले बिहार के कटिहार जिले के सेमापुर में अपनी मौसी के घर पर रुका। कुछ दिन वहां रुकने के बाद उसने अररिया के रामपुर कोदरकट्टी पंचायत के मरंगी टोला वार्ड 11 में आकर एक स्थानीय महिला से निकाह कर लिया।
इसके बाद नवाब ने अपने भारतीय पहचान के लिए फर्जी दस्तावेज जैसे आधार कार्ड और वोटर आईडी बनवाए, जिसमें उसने अपने चचेरे ससुर को अपना अब्बा दिखाया और बेगम का नाम मतदाता पहचान पत्र में दर्ज करा लिया। उसकी योजना पासपोर्ट बनवाकर बांग्लादेश वापस लौट जाने की थी, ताकि वह कानूनी रूप से भारत और बांग्लादेश के बीच आसानी से यात्रा कर सके। हालांकि पासपोर्ट वेरिफिकेशन प्रक्रिया के दौरान उसकी सच्चाई सामने आ गई।
उल्लेखनीय है, कि नवाब की सच्चाई सामने आने के पीछे मुख्य भूमिका मुखिया पम्मी देवी और उनके पति की थी, जिन्होंने उसकी पहचान पर संदेह प्रकट करते हुए इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दी। वहीं इस घटना ने सीमावर्ती क्षेत्रों में बांग्लादेशी नागरिकों की घुसपैठ और उनकी अवैध गतिविधियों पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस और प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए आगे की जाँच शुरू कर दी है।