डॉ. राधाकृष्णन एक विद्वान और बहुत बड़े शिक्षक थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा था, “यदि मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है तो यह मेरा गौरवपूर्ण विशेषाधिकार होगा।
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— President of India (@rashtrapatibhvn) September 5, 2020
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन द्वारा अपने जीवन के 40 वर्ष एक शिक्षक के रूप व्यतीत किया और अपने दायित्वों को पूरा किया। शिक्षा के क्षेत्र में उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है। उनके शिक्षा के प्रति लगन और शिक्षकों के प्रति आदर को देखते हुए उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।
भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी राजस्व विभाग में काम करते थे। इनकी मां का नाम सीतम्मा था. इनकी प्रारंभिक शिक्षा लूनर्थ मिशनरी स्कूल, तिरुपति और वेल्लूर में हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई की।
उन्होंने दर्शन शास्त्र से एम.ए. किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया।
डॉ. राधाकृष्णन 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने. जाने-माने दार्शनिक बर्टेड रशेल ने उनके राष्ट्रपति बनने पर कहा था। ‘भारतीय गणराज्य ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को राष्ट्रपति चुना, यह विश्व के दर्शनशास्त्र का सम्मान है। मैं उनके राष्ट्रपति बनने से बहुत खुश हूं। प्लेटो ने कहा था कि दार्शनिक को राजा और राजा को दार्शनिक होना चाहिए। डॉ. राधाकृष्णन को राष्ट्रपति बनाकर भारतीय गणराज्य ने प्लेटो को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।