टिहरी बांध की झील में बगैर लाइफ जैकेट के तैरकर अपना पिछला रिकार्ड़ तोड़ने उतरे प्रतापनगर के मोटणा गांव निवासी त्रिलोक सिंह रावत (52) और उनके दो बेटों ऋषभ (23) और पारस (18) ने इतिहास रच दिया। पिता-पुत्रों ने लगभग 9 घंटे में यह यात्रा पूरी कर अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ा है। इस अवसर पर पर्यटन अधिकारी सोबत सिंह राणा ने बताया, कि चारों तैराकों ने पर्यटन विभाग की देख-रेख में तैराकी पूरी की।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, त्रिलोक सिंह रावत (52) और उनके दो बेटों ऋषभ (23) और पारस (18) ने टिहरी बांध की झील में बिना लाइफ जैकेट के तैरकर एक नई उपलब्धि प्राप्त की है। पिता-पुत्रों की जोड़ी ने लगभग 18 किलोमीटर की तैराकी की, जो उनके पिछले रिकॉर्ड से 3 किलोमीटर अधिक है। इसके साथ ही टीएचडीसी के जूनियर ऑफिसर हरीश गिरी (46) ने भी पहली बार झील में उतरकर 18 किमी तैराकी कर सभी को चकित कर दिया।
पिता संग दो बेटों ने रचा इतिहास 🔥😱🤩
बिना लाइफ जैकेट 18 किमी की दूरी मात्र 9 घंटे में की पूरी टिहरी झील को किया पार 😍
प्रतापनगर क्षेत्र के मोटणा निवासी त्रिलोक सिंह रावत व उनके दो बेटे ऋषभ और पारस ने कोटी कॉलोनी से छाम तक लगभग 18 km तैराकी कर अपना पिछला रिकॉर्ड भी तोड़ दिया,… pic.twitter.com/qcldDKkH1t
— Pyara Uttarakhand प्यारा उत्तराखंड (@PyaraUKofficial) October 3, 2024
बीते गुरुवार 3 अक्टूबर को भाजपा के मंडल अध्यक्ष त्रिलोक सिंह रावत और उनके दोनों बेटे ऋषभ और पारस ने टीएचडीसी के जूनियर ऑफिसर हरीश गिरी के साथ मिलकर टिहरी झील में कोटी कालोनी से कंडीसौड़ तक तैराकी की। गौरतलब है, कि चारों ने बगैर लाइफ जैकेट के यह दूरी तय की। सुबह 8 बजे भाजपा के जिलाध्यक्ष राजेश नौटियाल ने उन्हें तैराकी के लिए फ्लैग ऑफ किया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मूल रूप से पुरानी टिहरी शहर के निवासी हरीश गिरी ने सबसे पहले यह दूरी 8 घंटे में पूरी की, जबकि ऋषभ ने 9 घंटे 20 मिनट, पारस ने 9 घंटे 29 मिनट और त्रिलोक ने 9 घंटे 45 मिनट में अपना तैराकी का सफर समाप्त किया। इस मौके पर ऋषभ ने कहा, कि उन्होंने तैराकी 12 साल की उम्र में सीख ली थी। बच्चों ने इस उपलब्धि का श्रेय अपने पिता को दिया है।
बता दें, कि इससे पहले भी पिता-पुत्र की जोड़ी ने टिहरी झील में 12 और 15 किलोमीटर की तैराकी का साहसिक कारनामा कर चुके हैं। कंडीसौड़ पहुंचने पर उनका स्थानीय लोगों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। त्रिलोक सिंह ने कहा, कि आज वह अपने बेटों के साथ तैराकी का यह रिकॉर्ड बनाकर बेहद खुश हैं। उन्होंने युवाओं को संदेश देते हुए कहा, कि अगर उन्हें जीवन में आगे बढ़ना है, तो नशे से दूर रहना होगा।
हरीश गिरि ने इस उपलब्धि पर कहा, कि उनका तैराकी का ये सफर बहुत ही अच्छा रहा। उन्हें बचपन से ही तैराकी का बेहद शौक था, हालांकि तैराकी के लिए घर से अभिभावकों की तरफ से काफी डांट मिलती थी। इस सफलता के लिए हरीश ने अपने उच्चाधिकारियों के साथ-साथ सभी प्रशंसकों का धन्यवाद अदा किया हैं। वहीं स्थानीय लोगों ने सरकार से दोनों युवाओं को तैराकी में महारत हासिल करने के लिए ट्रेनिंग सेंटर भेजने की मांग की है।