लोकसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार (29 नवंबर 2021) से शुरू हो गया है। केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी पर लगाम कसने के अलावा डिजिटल करेंसी को शुरू करने के लिए Cryptocurrency and Regulation of Official Digital Currency Bill 2021 संसद के सभा पटल पर रखने जा रही है।
दरअसल केंद्रीय बैंकिंग संस्थाओ ने जब औपचारिक रूप से आभासी मुद्राओं के संबंध में अपनी चिंताओं से भारत सरकार को अवगत करवाया। इसके बाद से सरकार निरन्तर इस बात पर मंथन कर रही है, कि इस डिजिटल करेंसी को किस प्रकार से नियंत्रित किया जाये।
भारत सरकार का पक्ष रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को लोकसभा में कहा, कि वर्तमान में सरकार के पास देश में बिटकॉइन करेंसी को मान्यता देने का कोई सुझाव नहीं है। उन्होंने सदन को बताया, कि सरकार बिटकॉइन को लेकर किए जाने वाले ट्रांजैक्शन का कोई विवरण नहीं रखती है।
जानकारी के लिए बता दें, कि बिटकॉइन एक आभासी मुद्रा है। इसका तकनीकी पक्ष यह है, कि बिटक्वाइन करेंसी उपभोक्ताओं को बैंकों, क्रेडिट कार्ड या अन्य तीसरे पक्षों को शामिल किए बगैर वस्तु और सेवाओं को खरीदने और धन का आदान-प्रदान करने की मंजूरी देता है। सरल शब्दों में यह पीयर-टू-पीयर भुगतान माध्यम होता है। इस प्रक्रिया में किसी तीसरे की मध्यस्थता की जरुरत नहीं होती है।
न्यूज मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के तकरीबन आठ फीसदी जनसंख्या ने विभिन्न प्रकार की आभासी मुद्राओं पर निवेश किया हुआ है। वर्ष 2008 में इसे प्रोग्रामर के एक गुप्त समूह द्वारा क्रिप्टोकरेंसी और इलेक्ट्रॉनिक भुगतान प्रणाली के रूप में पेश किया गया था।
सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी पर मंशा साफ करते हुए कहा, कि देश में क्रिप्टोकरेंसी का लेन देन का इस्तेमाल किसी भी दशा पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। वित्त सचिव ने अपने एक बयान में कहा, कि संसद में क्रिप्टो करेंसी बिल प्रस्तुत करने से पहले काफी शोध किया जा रहा है।