ओडिशा के बालेश्वर में शुक्रवार शाम हुए भीषण रेल हादसे का खौफनाक मंजर लोगों के जेहन से भुलाए नहीं भूल रहा है। चीख-पुकार के बीच हर तरफ बिखरी लाशें व मानव शरीर के अंग लोगों को सपने में भी डरा रहे है। रेल दुर्घटना के बाद सबसे बुरा प्रभाव बचाव कार्य में लगी टीमों के सदस्यों पर नजर आ रहा है। इस दर्दनाक रेल हादसे की विभीषिका राहत और बचाव कार्य में लगे कर्मियों पर भी दिख रही है, और इसका असर बचावकर्मियों की मानसिक स्थिति पर भी पड़ रहा है।
जी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, हादसे के बाद की इस समस्या के बारे में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार को पुष्टि की है। उन्होंने जानकारी दी, कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान में तैनात बल का एक कर्मी जब भी पानी देखता है, तो उसे वह खून की तरह नजर आता है। वहीं हादसे के बाद एक अन्य बचावकर्मी की भूख ही गायब हो गई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, बालेश्वर में तीन ट्रेनों की भिड़त के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था। इस भीषण रेल दुर्घटना में करीब 278 लोगों की मौत हो गयी, जबकि 900 से अधिक लोग घायल बताये जा रहे है। बचाव अभियान खत्म होने व पटरियों की मरम्मत के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही सुचारु कर दी गई है।
आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन – 2023 को संबोधित करते हुए एनडीआरएफ के महानिदेशक अतुल करवाल ने कहा, ‘‘मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला। इस दौरान एक कर्मी ने मुझे बताया, कि जब भी वह पानी देखता है, तो उसे वह खून की तरह लगता है। वहीं एक अन्य बचावकर्मी ने बताया, कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है।’’
रेल हादसे वाली जगह का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने बताया, कि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसेलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी मानसिक सेहत के लिए ऐसी काउंसेलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते है।