लघु डाक्यूमेंट्री श्रेणी में आस्कर जीतने वाली भारत की ‘The Elephant Whisperers’ से पूर्णतः भारतीय सिनेमा का उद्घोष हुआ है। इस डॉक्यूमेंट्री का निर्देशन कार्तिकी गोस्लाव्स ने किया है, जबकि इसका निर्माण गुनीत मोंगा ने किया है। OTT प्लेटफॉर्म Netflix पर रिलीज हुई इस 41 मिनट की डॉक्यूमेंट्री को बनाने में 5 वर्ष का लंबा वक्त लगा। इसकी शार्ट डाक्यूमेंट्री की कहानी तमिलनाडु में अपने झुंड से बिछड़ गए हाथी के शिशु को पालने वाले दंपति पर केंद्रित है।
‘The Elephant Whisperers’ को तमिलनाडु स्थित मुदुमलाई वन्यजीव अभ्यारण्य में शूट किया गया है, जहाँ बोम्मन और बेल्ली नाम के दंपति दो हाथियों के शिशुओं का भरण-पोषण करते है। फिल्म के नायक बोम्मन हाथियों की सेवा करने वाले कट्टूनायकन समुदाय के पुजारी है। निर्देशक कार्तिकी गोस्लाव्स ने लगभग पांच साल इन परंपराओं, आदर्शों और मनुष्य व हाथियों के मध्य के भावनात्मक रिश्ते की यात्रा को 450 घंटों की फुटेज में कैद किया है।
‘The Elephant Whisperers’ themselves, Bommon and Bellie are the real stars of the show. It is only through their constant support, and willingness to share a piece of their life with the world, that this film won this highest honour. pic.twitter.com/HwjatKQw6W
— Netflix India (@NetflixIndia) March 13, 2023
डाक्यूमेंट्री के सिनेमेटोग्राफर करन थपलियाल ने बताया, कि डाक्यूमेंट्री की शूटिंग हमने तमिलनाडु में नीलगिरि की पहाड़ियों के बीच मुदुमलाई टाइगर रिजर्व में की थी। उन्होंने डाक्यूमेंट्री में सिनेमेटोग्राफी का अनुभव शेयर करते हुए मीडिया को बताया, कि शुरुआत में तो टीम ने हाथियों की गतिविधियों को परखते हुए उन्हें कुछ दूरी से शूट करना शुरू किया था, लेकिन फिर धीरे-धीरे रघु और अम्मू के साथ सभी हाथी हमारे साथ सहज हो गए थे।
ये लघु डाक्यूमेंट्री मानव और वन्य जीवों के भावनात्मक पहलू को छूने के साथ ही प्रकृति के विभिन्न रंग-रूपों को समेटती है। डाक्यूमेंट्री की निर्देशक कार्तिकी ने बताया, कि दरअसल वह अपने कुछ मित्रो के साथ मुदुमलाई टाइगर रिजर्व घूमने गईं थी, जहां उन्होंने देखा, कि बोमन (कट्टूनायकन समुदाय पुजारी) एक हाथी के बच्चे को बचाने के लिए वैसी ही कोशिशें कर रहे थे, जैसे कोई अभिभावक अपने बच्चे का जीवन बचाने के लिए प्रयास करता है।