‘द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) फिल्म ने पलायन और नरसंहार के पीड़ित कश्मीरी हिंदुओं के मामलें को मामला उठाकर मुख्यधारा की चर्चा में ला खड़ा किया है। इसी क्रम में ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी बड़ा बयान देते हुए कहा, कि कश्मीरी पंडितों का नरसंहार हुआ था। हरीश रावत ने मोदी सरकार से अपील की है, कि भाजपा सरकार को कश्मीरी हिंदुओ की घाटी में वापसी कराने का साहस दिखाना होगा।
नब्बे के दशक में कश्मीर के हिंदू समाज के साथ हुए बर्बरतापूर्ण अत्याचार पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा, कि यह अत्यंत चिंताजनक बात है, कि जिस तरीके से कश्मीरी पंडितों को चुन-चुन करके मारा गया, नरसंहार हुआ, महिलाओं पर अत्याचार हुये, उनको अपने घर-गांव, अपनी मातृभूमि को छोड़ना पड़ा, जिसकी स्मृतियां आज भी उनके मानस में अंकित हैं। ‘कश्मीर फाइल्स, उसका एक कथानक है, इस पर राजनीतिक विवाद की गुंजाइश नहीं है। मैं उस समय संसद में था और हमने निरंतर इन घटनाओं को उठाया।
जिसकी स्मृतियां आज भी उनके मानस में अंकित हैं। कश्मीर फाइल्स, उसका एक कथानक है, इस पर राजनीतिक विवाद की गुंजाइश..https://t.co/Xp8YxAnFmP..पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से हम मिलजुल कर ही लड़ सकते हैं और उसे प्राप्त कर सकते हैं।#india #kashmir #uttarakhand @narendramodi @bjp
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) March 19, 2022
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने अपने ट्विटर संदेश में ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर पोस्ट करते हुए लिखा, कि हम उत्तराखंड के लोगों ने भी मुजफ्फरनगर में इसी तरीके का एक दर्द पूर्ण भयावह अत्याचार को झेला है, जब सत्ता ही हम पर टूट पड़ी थी। दर्द पूर्ण पृष्ठ भुलाये जा सकते हैं, उत्तराखंड को राज्य मिला और हमने उस दर्द को अपनी छाती में सजो लिया और आगे की तरफ देखा। कश्मीर में भी आगे की तरफ देखने की आवश्यकता है और उसके लिए आवश्यक है, कि आतंकवाद के खात्मे के लिए पूरी राष्ट्रीय शक्ति लगाई जाए।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने भारत सरकार से अपील करते हुए लिखा, कि जहां भी ये आतंकवाद पनप रहा है, वहीं उसका समूल नष्ट किया जाए। यदि भारतीय पराक्रम बंगला स्वाभिमान की रक्षा के लिए एक नया इतिहास बना सकता है, तो यहां भी आतंकवाद रूपी कायरता को समाप्त करने के लिए इतिहास बनाने में हमको संकोच नहीं करना चाहिए। हम सब साथ हैं, पूरा देश साथ रहेगा। इतिहास के इस दर्दपूर्ण अध्याय को कोई भी झुठला नहीं सकता है। कहीं न कहीं पर आतंकवाद का जो नया स्वरूप कश्मीर में देखने को मिला है, उसको समझने में चूक हुई है।