स्कूली शिक्षा में समरूपता के उद्देश्य से केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एक बार फिर पहली कक्षा में प्रवेश की न्यूनतम आयु 6 वर्ष रखने के निर्देश दिए है। मंत्रालय का मानना है, कि पहली कक्षा में प्रवेश की आयु देश के राज्यों में अलग-अलग होना स्कूली शिक्षा की एक बड़ी विसंगति है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप तैयार किए गए स्कूली शिक्षा के नए ढांचे को भी अपनाने के लिए कहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिशुओं को 3 साल की आयु से ही स्कूली व्यवस्था से जोड़ना भी है। बच्चो को शुरू के 3 साल तक बाल-वाटिका से जोड़ा जाएगा, उसके बाद ही बच्चें को पहली कक्षा में प्रवेश दिया जाएगा।
गौरतलब है, कि पिछले साल ही शिक्षा मंत्रालय ने पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र को लेकर हुए विवाद के बाद इस संबंध में निर्देश जारी किये थे। इसमें सभी राज्यों से पहली कक्षा में प्रवेश की उम्र न्यूनतम 6 वर्ष रखने के लिए कहा था। साथ ही बताया था, कि उत्तर प्रदेश, बिहार समेत देश के 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पहले से ही पहली कक्षा में प्रवेश की न्यूनतम उम्र 6 वर्ष है, जबकि दिल्ली, गुजरात और केरल समेत 14 राज्यों में यह आयु सीमा पांच से साढ़े पांच वर्ष है।
शिक्षा मंत्रालय का मानना है, पहली कक्षा में दाखिले की उम्र राज्यों में अलग होना स्कूली शिक्षा की एक बड़ी विसंगति है। इसका खामियाजा बच्चों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट होने या फिर प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने के दौरान उठाना पड़ता है। उल्लेखनीय है, कि शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश उस वक्त जारी किया है, जब स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। बता दें, नया शैक्षणिक सत्र 20 अप्रैल से शुरू होने वाला है।
स्कूली शिक्षा में प्ले-स्कूल को शामिल किये जाने के साथ ही शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को यह निर्देश भी दिए है, कि वह अपने यहां प्ले स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को तैयार करने की प्रक्रिया शुरू करें। इस संबंध में मंत्रालय ने राज्यों को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और डायट (जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान) के माध्यम से दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स शुरू करने का सुझाव दिया है।
गौरतलब है, कि स्कूली शिक्षा को 10 प्लस 2 के ढांचे से निकालकर 5 प्लस 3 प्लस 3 प्लस 4 में परिवर्तित किया गया है। इस प्रक्रिया के तहत शुरूआती 5 सालो को बुनियादी स्तर (फ़ाउंडेशनल स्टेज) का नाम दिया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शुरू के 3 साल बाल-वाटिका के होंगे, जबकि अगले 2 साल पहली और दूसरी कक्षा के होंगे। उल्लेखनीय है, कि वर्तमान समय में प्ले स्कूल के स्तर पर पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए कोई प्रशिक्षण कोर्स संचालित नहीं किया जाता है।