तमिलनाडु के मदुरै में तकरीबन 500 साल पुरानी परंपरा ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर इस बार प्रतिबंध के ऐलान से एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है। बता दें, मयिलादुथुराई कलेक्ट्रेट ने ‘पट्टिना प्रवेशम’ के पारंपरिक अनुष्ठान को आयोजित करने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया। 500 साल पुरानी परंपरा ‘पट्टिना प्रवेशम’ के दौरान श्रद्धालु धर्मपुरम अधीनम के द्रष्टा को पालकी में बिठाकर कंधो पर मठ ले जाने का पौराणिक अनुष्ठान है। दरअसल, शैव मठ के महंत को पालकी में बिठाकर कंधों पर ले जाने की परंपरा पर मयिलादुथुराई कलक्ट्रेट ने मानवाधिकारों का हवाला देकर रोक लगा दी है।
तमिलनाडु में ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर प्रतिबंध लगाये जाने के बाद संतों व महंतों ने राज्य की एमके स्टालिन सरकार का जमकर विरोध करना शुरू कर दिया है। इस मामले पर भाजपा प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने कहा है, कि प्रशासन की ओर से लगाए गए इस बैन के फैसले के विरुद्ध भाजपा कार्यकर्ता स्वयं पालकी को लेकर मठ में ले जाएंगे। पट्टिना प्रवेशम का पौराणिक अनुष्ठान की शोभायात्रा का आयोजन 22 मई को होना था।
TN | Dharmapuram Adheenam is 500 yrs old&for past 500 yrs this (Pattina Pravesam) was going on. But this yr suddenly it's not happening, I'm pained. Even the British had permitted Pattina Pravesam: Sri Harihara Sri Gnanasambanda Desika Swamigal, Madurai Adheenam Chief (03.05.22) pic.twitter.com/81N2rqnsZZ
— ANI (@ANI) May 4, 2022
तमिलनाडु सरकार के इस फैसले के खिलाफ मठ के पदाधिकारी और अनुयायियों ने मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने प्रशासन के इस तुगलकी फरमान को दरकिनार कर पट्टिना प्रवेशम यात्रा निकालने की घोषणा की है। मदुरै अधीनम के प्रमुख हरिहर ज्ञानसंबंदा स्वामीगल ने कहा, धर्मपुरम अधीनम पांच सौ साल पुरानी परंपरा है, और सैकड़ो वर्षो से यह (पट्टिना प्रवेशम) अनुष्ठान यात्रा निर्विरोध चल रही थी। अचानक इस साल ऐसा नहीं हो रहा है, यहाँ तक की अंग्रेजों ने भी पट्टिना प्रवेशम को कभी नहीं रोका था।
पट्टिना प्रवेशम पर रोक लगाए जाने के बाद वैष्णव मत के गुरु मन्नारगुड़ी श्री सेंदलंगरा जीयार ने कहा है, कि ये एक धार्मिक परंपरा है। इसे रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। मन्नारगुड़ी जीयार होने के नाते मैं इसे धर्मद्रोहीयों को उनके हिंदू विरोधी कार्यों के लिए चेतावनी देता हूँ। उन्होंने कहा, कि धरमापुरम अधीनम का शैव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए वही महत्व है, जो कैथोलिक ईसाइयों के लिए वेटिकन सिटी का है। इस प्राचीन शैव मठ की पौराणिक परंपरा का सम्मान हो चाहिए, यह आयोजन अनुयायियों का अपने गुरु के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
Thanjavur, Tamil Nadu | Pattina Pravesam is a religious ritual. Nobody has right to stop this. It is done by followers of the mutt. I, as a Mannargudi Jeeyar, warn these 'Dharmdrohi' & 'Deshdrohi' for their anti-Hindu works: Mannargudi Sri Sendalangara Jeeyar, Vaishnavaite Guru pic.twitter.com/NqAurCSeoU
— ANI (@ANI) May 4, 2022
मयिलादुथुराई के राजस्व मंडल अधिकारी जे बालाजी ने प्रतिबंध आदेश जारी किया था और यह भी दावा किया था कि यह प्रथा “मानवाधिकारों का उल्लंघन” है। वहीं द्रविड़ कड़गम के नेता और वामपंथी इस प्रथा का ये कहकर विरोध कर रहे है, कि ये मानवाधिकारों के खिलाफ है। द्रविड़ कड़गम के मयिलादुथुराई जिला सचिव के थलपतिराज का कहना है, कि इंसानों द्वारा किसी इंसान को पालकी में ले जाना मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
उल्लेखनीय है, कि मदुरै अधीनम को दक्षिण भारत में शैव संप्रदाय का सबसे पौराणिक मठ माना जाता है। ये मठ तमिलनाडु के मदुरै में मीनाक्षी अम्मन मंदिर के समीप स्थित है, जो देश के सबसे महत्वपूर्ण शिवशक्ति मंदिरों में से एक है। इस मठ में पट्टिना प्रवेशम नाम से एक परंपरा है। इसमें धरमापुरम अधीनम के महंत को पालकी में बिठाकर श्रद्धालु शोभायात्रा निकलते है।