राजस्थान के जैसलमेर में बीते तीन दिनों से धरती से निकल रहा पानी का प्रवाह आखिरकार बीते सोमवार की सुबह थम गया, जिसके बाद प्रशासन और स्थानीय ग्रामीणों ने चैन की सांस ली। इसकी पुष्टि करते हुए जिला कलेक्टर ने लोगों से अपील की है, कि फिलहाल वो प्रभावित क्षेत्र में न जाएं।
बता दें, कि राजस्थान के जैसलमेर के रेतीले इलाके में बोरिंग के दौरान जमीन के नीचे से पानी का स्रोत फूट पड़ा। बताया जा रहा है, कि यह बोरिंग स्थानीय भाजपा नेता के खेत में की जा रही थी। जमीन से फूटा जल स्रोत पूरी फोर्स के साथ 10-15 फीट हवा में उछल कर निकल कर रहा था। इसके चलते नजदीकी इलाका जलमग्न है।
पिछले तीन दिन से लगातार पानी और गैस जमीन के नीचे से निकल रहा था। वहीं प्रभावित क्षेत्र में तेल और गैस के क्षेत्र में कार्य करने वाली सरकारी कंपनी ONGC के विशेषज्ञ भी पहुँचे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसलमेर के मोहनगढ़ में विक्रम सिंह ने खेतों की सिंचाई के लिए शनिवार (28 दिसम्बर, 2024) को एक मशीन से बोरिंग चालू करवाई थी।
शनिवार को यह बोरिंग लगभग 850 फीट की गहराई नाप चुकी थी। इसी दौरान जमीन से पानी की एक मोटी धारा फूट पड़ी। साथ तेजी से गैस का रिसाव भी चालू हो गया। पानी की यह धारा जमीन से 10 फीट ऊँचाई को छूने लगी। यह देखकर काम कर रहे लोग भयभीत होके मौके से भाग गए।
वहीं बोरिंग वाला ट्रक भी मशीन समेत जमीन में धंस गया। पानी का रिसाव शनिवार के बाद रविवार को भी चालू रहा। थोड़े-थोड़े समय के बाद यहाँ पानी का फव्वारा फूटता रहा। बोरिंग करवा रहे विक्रम सिंह के खेत समेत आसपास के खेत भी जलमग्न हो गए। पानी की धार ना रुकने पर स्थानीय लोगों ने प्रशासन को सूचना दी। इसके बाद प्रशासन ने आस-पास का 500 मीटर के क्षेत्र को खाली करवाया।
प्रशासन ने संबंधित घटना की जांच के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भी बुलाई है। साथ ही रविवार को ONGC की एक टीम ने भी प्रभावित क्षेत्र का दौरा किया। इस संबंध में ONGC की टीम ने जानकारी दी, कि जमीन से निकल रही गैस खतरनाक नहीं है और उसमें जहरीले केमिकल नहीं हैं। उन्होंने बताया, कि ऑयल इंडिया लिमिटेड की टीम अपनी मशीनों से इस रिसाव को बंद करेगी। फिलहाल अभी मौके पर कीचड़ ही कीचड़ हो गया है।
वहीं भू-वैज्ञानिकों ने इसे सामान्य घटना करार दिया है। उन्होंने बताया, कि जहाँ बोरिंग हुई, वहाँ नीचे कठोर चट्टानें हैं और उसके नीचे पानी है। चट्टानों में बने दबाव और गैस की वजह से पानी ऊपर अधिक दवाब से आ रहा है, कुछ समय में पानी का स्तर सही हो सकता है। वहीं कुछ स्थानीय लोगों और VHP के प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस पानी के स्रोत को सरस्वती नदी का विलुप्त स्रोत बताया है।
हालांकि वैज्ञानिकों ने इस दावे को स्वीकार करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा, कि बिना जाँच के इस विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता। फिलहाल प्रशासन ने क्षेत्र के आसपास के स्थानीय निवासियों को सूचित किया है, कि जहां से पानी का रिसाव हो रहा है, उस क्षेत्र के 500 मीटर की परिधि में न तो कोई व्यक्ति जाए और न ही अपने मवेशियों को जाने दें।