झारखंड के कोडरमा जिले में हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण में स्वर्ण भंडार के साथ ही लिथियम के भंडार की भी खोज की गई है। इस खोज के बाद भारत को कार्बनिक ऊर्जा को कम करने की दिशा में एक अहम हथियार मिल गया है। गौरतलब है, कि लिथियम एक धातु है, जिसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों, लैपटॉप और मोबाइल फोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की बैटरी में किया जाता है। लिथियम का उपयोग अंतरिक्ष में रॉकेट ईंधन के रूप में भी किया जाता है।
जेसीआइ के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने बीते शनिवार को यह महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए बताया, कि रांची जिले के तमाड़ बॉलाक में बबाईकुंडी और सिंदौरी-घनश्यामपुर में ये दोनों नए सोने के भंडार मिले हैं। बबाईकुंडी में 0.510 टन और सिंदौरी में 0.767 टन सोना होने का अनुमान विभाग के सर्वे में लगाया गया है।
जीएसआई के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद के अनुसार, साल 2050 तक देश में बैटरी पर निर्भरता बढ़ने वाली है। इसके लिए लिथियम सबसे महत्वपूर्ण तत्व है, इसलिए लिथियम की खोज पर फोकस किया जा रहा है। कोडरमा में मिला यह भंडार भारत को दुनिया के सबसे बड़े लिथियम उत्पादक देशों में से एक बना सकता है। उन्होंने बताया, कि ऊर्जा जरूरतों के लिए क्रिटिकल मिनरल्स के महत्व को देखते हुए किए गए शोध में कोडरमा में लीथियम होने के प्रारंभिक प्रमाण मिले है।
कोडरमा के माइका बेल्ट में लीथियम की खोज के लिए आगे के चरण की तैयारी की जा रही है। बता दें, लिथियम एक रासायनिक तत्व है, जिसका प्रतीक Li और परमाणु संख्या 3 है। यह आवर्त सारणी का तीसरा तत्व है और यह सबसे हल्की धातु और सबसे कम घनत्व-वाला ठोस पदार्थ है। रासायनिक दृष्टि से यह क्षार धातु समूह का सदस्य है और अन्य क्षार धातुओं की तरह अत्यंत अभिक्रियाशील है, यानि अन्य पदार्थों के साथ तेजी से रासायनिक अभिक्रिया कर लेता है।
यह इलेक्ट्रिक बैटरी में उपयोग किया जाता है, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहनों और लैपटॉप जैसे उपकरणों में। यह धातुओं के मिश्र धातुओं में उपयोग किया जाता है, जैसे कि अलुमिनियम-लिथियम मिश्र धातु, जो हल्के और मजबूत होते है। इसके अलावा इसके और भी कई महत्वपूर्ण उपयोग हैं। यह इलेक्ट्रिक वाहनों और लैपटॉप जैसी नई तकनीकों के विकास के लिए महत्वपूर्ण है।