यूक्रेन पर रुसी आर्मी के हमलों के सोमवार को पूरे ग्यारह दिन हो चुके है। विश्व समुदाय द्वारा युद्धविराम के लिए निरन्तर प्रयास किये जा रहे है। इसी बीच रूस ने एक नया खुलासा करते हुए कुछ दस्तावेजों के जरिये ये दावा किया है, यूक्रेन ने अमेरिका द्वारा संचालित प्रयोगशालों की सहायता से रूस-यूक्रेन सीमा पर जैविक हथियार जैसे एंंथ्रेक्स और प्लेग बनाया है। जो सीधे-सीधे जैविक हथियारों के मामलों पर यूएन निषेध के अनुच्छेद-1 का उल्लंघन है।
रुसी रक्षा मंत्रालय ने दस्तावेज शेयर किये
रशियन मीडिया संस्थान एएसबी न्यूज ने बीते रविवार को रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी दस्तावेज शेयर करते हुए ये कहा, कि इन दस्तावेजों से ये सिद्ध होता है, कि ये प्रयोगशाला यूएस द्वारा पोषित है, जोकि रूसी बॉर्डर के बेहद निकट है, उनमें यूक्रेन ने जैविक हथियारों का निर्माण किया है। एएसबी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, फरवरी माह के अंत में एंथ्रेक्स, प्लेग, टुलारेमिया, हैजा और अन्य घातक जैविक बीमारियाँ विकसित करने वाली यूक्रेनी जैविक लैब के दस्तावेज सामने आये है।
BREAKING: Russia publishes documents which show Ukraine was working on biological weapons near russian borders — such as Anthrax and Plague & that the pentagon has instructed to destroy them — violating article 1 UN prohibition of biological weapons. — These are US funded labs pic.twitter.com/DngZkGwws2
— ASB News / MILITARY〽️ (@ASBMilitary) March 6, 2022
डोनबास में स्पेशल ऑपरेशन के दौरान मिले दस्तावेज
वही रूसी रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, कि जब डोनबास में उन्होंने अपना स्पेशल ऑपरेशन शुरू किया, तो (अमेरिका रक्षा मंत्रालय) पेंटागन को यह ज्ञात हो गया, कि उनके इस गुप्त जैविक प्रयोगों के बारे में रूस को जानकारी मिल जाएगी। यूक्रेन में जैविक हथियारों से संबंधित दस्तावेजों की रूसी रक्षा विशेषज्ञ जाँच-पड़ताल कर रहे है। रूस द्वारा पब्लिश दस्तावेज में यूक्रेन स्वास्थ्य मंत्रालय का एक ऑर्डर भी शामिल है जिस पर 24 फरवरी 2022 की तारीख अंकित है।
— ASB News / MILITARY〽️ (@ASBMilitary) March 6, 2022
जैविक हथियारों के इस्तेमाल बेहद घातक
रशियन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक रूसी प्रतिनिधि ने जानकारी देते हुए बताया, कि यूक्रेन ने अपने ‘डर्टी बम’ के निर्माण और प्लूटोनियम को अलग करने के लिए चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट का उपयोग किया है। बता दें, कि जैविक हथियारों के इस्तेमाल से देश अंदरुनी तौर पर कमजोर पड़ जाता है। जैविक हथियार से विकसित घातक बीमारियों से पूर्व में कई देशों के असंख्य नागरिको ने अपनी जान गँवाई है। इन बीमारियों में 7-8 दिन के भीतर रोगी की मौत हो जाती है, और जो लोग बच जाते है, उन्हें या तो लकवा मार जाता है,अथवा वे कोमा में जाकर नेत्रहीन हो जाते है।