केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार (8 फरवरी 2024) को लोकसभा में 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा एक श्वेतपत्र पेश किया। मोदी सरकार द्वारा जारी इस श्वेतपत्र में कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया है, कि साल 2014 से पहले (मोदी सरकार के गठन से पहले) राष्ट्र के समक्ष किस प्रकार के शासन, आर्थिक और राजकोषीय संकट खड़े थे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2004 से 2014 के मध्य कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के कार्यकाल के बारे में एक श्वेत पत्र संसद के पटल रखते हुए कहा, कि यूपीए के दस वर्षो के कार्यकाल में आर्थिक बदहाली थी। एनडीए की सरकार ने त्वरित समाधान करने के बजाय, साहसिक सुधार किए है।
Union Finance Minister Nirmala Sitharaman lays on the Table a copy of the 'White Paper on the Indian Economy' today, in Lok Sabha pic.twitter.com/oYFwUHtSeE
— ANI (@ANI) February 8, 2024
श्वेत पत्र में कहा गया है, “साल 2014 में अर्थव्यवस्था संकट में थी, तब श्वेतपत्र प्रस्तुत किया जाता, तो नकारात्मक स्थिति उत्पन्न हो सकती थी और निवेशकों का आत्मविश्वास डगमगा जाता। राजनीतिक और नीतिगत स्थिरता से लैस एनडीए सरकार ने पूर्ववर्ती यूपीए सरकार के विपरीत बड़े आर्थिक सुधारों के लिए सख्त निर्णय लिए।
श्वेत पत्र के अनुसार, यूपीए सरकार आर्थिक गतिविधियों को सुविधाजनक बनाने में बुरी तरह असफल रही। इसके बजाय यूपीए सरकार ने ऐसी बाधाएं उत्पन्न की, जिससे अर्थव्यवस्था रुक गई। यूपीए सरकार ने प्रधानमंत्री वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के सुधारों के विलंबित प्रभावों और अनुकूल वैश्विक परिस्थितियों का लाभ उठाया और दीर्घकालिक आर्थिक परिणामों की अधिक चिंता किए बिना संकीर्ण राजनीतिक उद्देश्यों के लिए परिणामी रूप से तेज आर्थिक विकास का शोषण करना शुरू कर दिया।
उल्लेखनीय है, कि संसद के बजट सत्र के दौरान एक फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने के दौरान कहा था, कि मोदी सरकार यूपीए सरकार की नाकामियों पर श्वेत पत्र लेकर आएगी। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री ने कहा था, कि मोदी सरकार के सत्ता में आने से पहले देश आर्थिक संकट में था। निर्मला ने इसके लिए यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने कहा था, कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़ी मेहनत की है।