पुणे की सावित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी में रामलीला पर आधारित नाटक के मंचन के दौरान भगवान राम और माता सीता का मजाक उड़ाने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने माफी माँगी है। वहीं, नाटक के आपत्तिजनक मंचन के माध्यम से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में पुलिस ने विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और पाँच स्टूडेंट को गिरफ्तार कर लिया। हालाँकि, बाद में सभी को जमानत दे दी गई।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते शुक्रवार (2 फरवरी 2024) को विश्वविद्यालय परिसर में ललित कला विभाग द्वारा नाटक ‘जब वी मेट’ का मंचन किया गया था। इसमें भगवान राम, माता सीता और भगवान बजरंग बली का बेहद आपत्तिजनक तरीके से चित्रण किया गया था। इस नाटक में माता सीता को धूम्रपान करते हुए दिखाया गया था। इस नाटक का जब ABVP के छात्रों ने विरोध किया, तो उनके साथ मारपीट की गई। इसके बाद ABVP के छात्रों ने थाने में जाकर शिकायत दर्ज करवाई।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने ललित कला केंद्र के प्रमुख और विश्वविद्यालय में थिएटर आर्ट्स के प्रोफेसर डॉक्टर प्रवीण दत्तात्रेय भोले और पाँच छात्रों को गिरफ्तार कर लिया। जिन छात्रों को गिरफ्तार किया गया, उनके नाम हैं- भावेश राजेंद्र पाटिल, जय पेडणेकर, प्रथमेश सावंत, हृषिकेश दलवी और यश चिखले। पाटिल ने नाटक लिखा और निर्देशित किया था, जबकि अन्य छात्रों ने अभिनय किया था।
पुलिस ने कहा, कि इन छह लोगों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295A (धार्मिक मान्यताओं का अपमान करना), 294 (अश्लील कृत्य और गाने), 143/149 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा करने की सजा), 323 (जानबूझकर चोट पहुँचाना) सहित सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम (सीओटीपीए) 2003 की धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने सभी छह आरोपियों को गिरफ्तार करने के बाद शनिवार को पुणे की एक अदालत में पेश किया। अदालत ने उन्हें मजिस्ट्रेट हिरासत में भेज दिया। इसके बाद आरोपितों ने जमानत के लिए आवेदन किया। इसके बाद कोर्ट ने आरोपितों को जमानत दे दी। हालाँकि, कोर्ट ने आरोपियों को सप्ताह में दो बार पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने के लिए कहा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके इस मामले में माफी माँगी है। इसके साथ ही मामले की जाँच के लिए सेवानिवृत्त एक जिला जज की अध्यक्षता में एक तथ्यान्वेषी समिति का गठन किया है। विश्वविद्यालय ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “किसी भी व्यक्ति, किंवदंती या ऐतिहासिक शख्सियत की पैरोडी पूरी तरह से गलत और निषिद्ध है।”
वहीं, शनिवार की शाम को भाजपा एवं हिंदू संगठनों से जुड़े प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स के साइन-बोर्ड पर स्याही पोतकर अपना विरोध जताया। विश्वविद्यालय परिसर में किसी तरह की कानून-व्यवस्था की स्थिति ना बिगड़े, इसके लिए भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रो वाइस चांसलर पराग कालकर ने कहा, कि विश्वविद्यालय विभाग प्रमुख से स्पष्टीकरण का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा, “हमें अभी तक नहीं पता है, कि यह अभ्यास था या व्यवहारिक। हमें यह भी पता लगाना होगा, कि इस सत्र के लिए इतने सारे लोगों को क्यों आमंत्रित किया गया था।”