देवभूमि उत्तराखंड में सख्त भू-कानून की मांग जोर पकड़ती जा रही है और स्थानीय निवासी भू-कानून को लेकर सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। भू-कानून को लेकर आंदोलन कर रहे संगठनो का कहना है, कि भू-कानून लागू करने का उद्देश्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान, लोक परंपराओं, खान-पान, पहनावा और जीवन शैली सुरक्षित और संरक्षित करना है।
हाल ही में सीएम धामी ने भी भू-कानून को लेकर सरकार की स्थिति स्पष्ट की थी और 250 वर्ग मीटर से ज्यादा भूमि खरीदने पर बाहरी लोगों पर कार्रवाई की बात कही थी। इसी बीच उत्तराखंड में अवैध रूप से जमीन खरीदकर रिसॉर्ट, होटल और लग्जरी विला बनाने वाले लोगों के खिलाफ धामी सरकार ने सख्त कार्रवाई शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के सभी जिलों में राज्य के बाहरी लोगों द्वारा खरीदी गई जमीन की जांच रिपोर्ट सामने आई है।
भूमि अधिग्रहण मामलों में नियमों के उल्लंघन से निपटने के लिए प्रशासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसी क्रम में जनपद नैनीताल में भूमि कानूनों के उल्लंघन के 64 मामले सामने आये हैं। इन सभी मामलों में प्रबंधन ने एसडीएम कोर्ट में मुकदमा दर्ज कर खरीददारों को नोटिस जारी किया है। इनमें अधिकतर मामले नैनीताल, रामनगर, भीमताल, भवाली, रामगढ़, धानाचूली और मुक्तेश्वर जिलों से सामने आए हैं। सरकार की सख्ती के बाद भू-माफियाओं में हड़कंप मच गया।
प्रशासन ने दिल्ली, यूपी, गुजरात आदि राज्यों के भू-माफियाओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है, कि जल्द ही ये सभी जमीनें जब्त कर राज्य सरकार में निहित कर दी जाएंगी। बता दें, कि उत्तराखंड के भूमि नियमों के अनुसार, राज्य के बाहर के लोग उत्तराखंड में 250 वर्ग मीटर तक ही जमीन खरीद सकते हैं। इससे अधिक जमीन खरीदने के लिए संबंधित शख्स को डीएम या सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
गौरतलब है, कि उत्तराखंड के कई जिलों में नियमों की अनदेखी करते हुए बाहरी राज्यों के लोग धड़ल्ले से जमीन खरीद रहे हैं और भूमि कानूनों की अवहेलना कर बड़े-बड़े होटल और रिसॉर्ट बना रहे हैं। हालांकि सरकार ने इस मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए राज्य स्थापना के बाद से राज्य के बाहर के लोगों द्वारा अर्जित की गई संपत्तियों की जांच के आदेश दिए है। दरअसल, बाहरी लोगों द्वारा प्रतिबंधित भूमि खरीदने के कारण सांस्कृतिक परिवर्तन में भी तेजी से बदलाव हो रहा है।
वहीं जांच में कुछ जगहों पर कृषि भूमि पर व्यावसायिक गतिविधियाँ पाई गईं, जबकि अन्य स्थानों पर व्यावसायिक उपयोग के लिए अर्जित भूमि बंजर पाई गई। ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां कई हेक्टेयर भूमि किसी उद्देश्य के लिए खरीदी गई और अन्य उद्देश्यों के लिए उपयोग की गई। कई स्थानों पर कृषि भूमि का अधिग्रहण कर उस पर रिसॉर्ट बना दिये गये। कई मामलों में अपार्टमेंट के प्रावधान और बिक्री से संबंधित शिकायतें भी सामने आई है।
जांच रिपोर्ट में यह भी ज्ञात हुआ, कि भूमि कानून का उल्लंघन करने वाले लोग उत्तराखंड राज्य के बाहर के थे। इनमें ज्यादातर खरीदार दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और उत्तर प्रदेश के निवासी है। इन मामलों में यदि खरीदारों की प्रतिक्रिया असंतुष्टिपूर्ण और असंतोषजनक पाई जाती है, तो संपत्ति सरकार को सौंप दी जाएगी। फिलहाल नैनीताल जिले में ही दिल्ली, यूपी, गुजरात आदि राज्यों के भू-माफियाओं के भूमि कानूनों के उल्लंघन के 64 मामले सामने आये हैं।
भू-कानून को लेकर आंदोलन कर रहे स्थानीय निवासियों का कहना है, कि प्रदेश में सख्त भू-कानून लागू होने से उत्तराखंड में अंधाधुंध बिक रही जमीनों की बिक्री पर रोक लगेगी, तो वहीं कृषि भूमि भी बचेगी। इस तरह से बाहरी लोगों के उत्तराखंड में बसने और दखलअंदाजी करने पर भी रोक लगाई जा सकेगी। इसके साथ ही अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों पर रोक लगाने में आसानी होगी।