उत्तराखंड के पांच साहसिक युवाओं की एक टीम ने हिमालय के दुर्गम क्षेत्रों में एक नए ट्रैकिंग रूट की खोज की है। इस ट्रैकिंग रूट का मुख्य लक्ष्य पांच केदारों को जोड़ना और विसुणीताल-खमदीर-शेषनाग-नंदीकुंड ट्रैक को एक नए पर्यटक स्थल के तौर पर स्थापित करना है। युवाओं ने सबसे पहले इस इलाके को गूगल मैप के जरिये से देखा और फिर डिजिटल मैप तैयार कर ट्रैक की वास्तविक स्थिति को समझा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गौंडार गांव के अभिषेक पंवार और उनके सहयोगी अजय पंवार, बडूस गांव के संजय नेगी, नई टिहरी के विनय नेगी और डांगी गांव के विपिन सिंह ने बीती 20 सितंबर को चोपता से इस ट्रैक का खोजी अभियान शुरू किया। अपनी यात्रा के पहले दिन दल मर्तोली पहुंचा और अगले कुछ दिनों में उन्होंने चित्रा बड्यार, दवा मरूड़ा और अजय पास तक का मार्ग तय किया।
ट्रैकिंग अभियान के दौरान दल ने हिमालय की विविधता को बेहद करीब से निहारा। इसके बाद 24 सितंबर को दल अजय पास से खमदीर के दुर्गम रास्तों पर चला, जहां उन्होंने भरतकुंड, केदारनाथ, केदारडोम और सतोपंथ जैसी चोटियों के सौंदर्य का दीदार किया। उल्लेखनीय है, कि यह पूरा इलाका चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों की सीमा पर स्थित है, जिसमें उच्च पर्वतीय भूखंड और पत्थरों की भव्य शिलाएं देखने को मिलती हैं।
बता दें, कि खमदीर समुद्र तल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान पर ट्रेकिंग दल ने ट्री लाइन के नीचे के क्षेत्र से होते हुए शेषनाग कुंड और नंदी कुंड को पार किया और पांडवसेरा के रास्ते से द्वितीय केदार मद्महेश्वर तक पहुंचा। विनय नेगी ने इस रूट के तीन डिजिटल मैप तैयार किए, जिनमें ट्रैक के सभी बिंदुओं को दर्शाया गया है, ताकि आने वाले ट्रेकर्स को मार्ग में कोई मुश्किल न हो।
अब इस पूरे अभियान का सम्पूर्ण ब्यौरा पर्यटन व वन विभाग के को सौंपा जाएगा, ताकि इस नए ट्रैक को औपचारिक रूप से विकसित किया जा सके। इससे पहले भी इन युवाओं ने मद्महेश्वर घाटी में ‘शिव सरोवर’ नामक एक झील की खोज की थी, जो मद्महेश्वर-पांडवसेरा-नंदकुंड ट्रैक पर स्थित है। इस अभियान के सदस्य अजय पंवार के अनुसार, रुद्रप्रयाग जिले में साहसिक पर्यटन और स्थानीय टूरिजम को बढ़ावा देने से हिमालय की सुंदरता विश्वभर में प्रसिद्ध होगी।
वहीं इस दल के अन्य सदस्य विपिन सिंह ने पंच केदार यात्रा को जोड़ने वाले दुर्गम ट्रैकिंग पर बात करते हुए कहा, कि खोज के लिए साहस और साधनों की आवश्यकता है। विनय नेगी ने विसुणीताल से खमदीर तक की यात्रा को चुनौतीपूर्ण बताया, जहां बर्फीली हवाओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह क्षेत्र प्रकृति का अनमोल खजाना समेटे हुए है। उन्होंने कहा, कि खमदीर से शेषनाग कुंड तक के पथरीले सफर और मद्महेश्वर घाटी के हिमाच्छादित पर्वत श्रृंखलाओं के अद्भुत दृश्य को अविस्मरणीय है।