उत्तराखंड में समय पर नगर निकायों के चुनाव की स्थिति न बनने के कारण इन्हें प्रशासकों के हवाले करने की कसरत शुरू हो गई है। शहरी विकास निदेशालय से इस संबंध में मिले प्रस्ताव पर शासन ने मंथन शुरू कर दिया है। दो दिसंबर को 84 नगर निकायों में प्रशासक नियुक्त कर दिए जाएंगे, लेकिन तब तक निकायों के वर्तमान प्रतिनिधियों को पूरे पांच साल तक कार्य करने का अवसर मिल जाएगा।
गौरतलब है, कि नगर निगमों, पालिका और नगर पंचायतों के चुनाव फिलहाल लटके हुए हैं। ओबीसी आयोग दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगा, जिस पर सरकार निर्णय लेगी। वहीं, फरवरी तक राज्य निर्वाचन आयोग मतदाता सूची तैयार करेगा। इस लिहाज से मार्च या इसके बाद ही चुनाव हो सकते हैं। चूंकि, उस दौरान लोकसभा चुनाव भी हैं, इसलिए फिलहाल लोकसभा चुनाव बाद ही निकाय चुनाव होने की संभावना है।
प्रमुख सचिव, शहरी विकास आरके सुधांशु के बताया, “दो दिसंबर तक निकायों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद नियमानुसार प्रशासक नियुक्त करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। अभी ओबीसी आयोग की सिफारिशें भी आयोग को प्राप्त नहीं हुई हैं।”
बता दें, उत्तराखंड में पिछले नगर निकाय चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे। तब इन निकायों (नगर निगम, नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत) की संख्या 92 थी। तीन निकायों में चुनाव नहीं होते। तब 84 निकायों में एक साथ चुनाव हुए, जबकि शेष में 2019 में। 84 निकायों की पहली बैठक दो दिसंबर 2018 को हुई थी। निकाय एक्ट के अनुसार पहली बैठक से ही निकायों का पांच साल का कार्यकाल शुरू होता है।
वहीं चुनाव की आचार संहिता लगने पर प्रतिनिधि तो अपने पद पर बने रहते हैं, लेकिन निकाय कोई निर्णय नहीं ले सकते। इस बार ये निकाय दो दिसंबर तक निर्णय ले सकेंगे। निकाय एक्ट के अनुसार समय पर चुनाव न होने की स्थिति में कार्यकाल समाप्त होने पर छह माह के लिए प्रशासक बैठाए जा सकते हैं। इस संबंध में शहरी विकास निदेशालय ने शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया गया है।