ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कुछ दिनों पहले सनसनीखेज बयान देते हुए केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह से 228 किलो सोना गायब होने का आरोप लगाया था। उनके इस आरोप को विपक्षी दल बड़ा मुद्दा बना रहे हैं और केंद्र व प्रदेश की भाजपा सरकारों पर हमलावर है। अब इस मामले में श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य पर पलटवार किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई (ANI) से बात करते हुए श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के आरोपों पर कहा, ‘मैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का सम्मान करता हूं लेकिन वह दिन भर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते रहते है। विवाद खड़ा करना, सनसनी फैलाना और खबरों में बने रहना उनकी आदत हो गई है।’
#WATCH | Uttarakhand: Shri Badrinath-Kedarnath Temple Committee President Ajendra Ajay says, "I respect Swami Avimukteshwaranand but he keeps holding press conferences throughout the day…Stoking controversy, create sensationalism and being in the news is a habit of Swami… https://t.co/Efo9oz6I7g pic.twitter.com/bQNHM5BtDS
— ANI (@ANI) July 17, 2024
बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा, कि केदारनाथ धाम में सोना गायब होने का उनका दावा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘मैं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से आग्रह करता हूँ और चुनौती भी देता हूँ, कि वह तथ्यों और सबूतों को सामने लाएं। उन्हें अधिकारियों के पास जाना चाहिए, सबूत पेश करना चाहिए और जांच की मांग करनी चाहिए। यदि उन्हें राज्य सरकार और उसके अधिकारियों पर भरोसा नहीं है, तो उन्हें सबूतों के साथ सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाना चाहिए, एक जनहित याचिका दायर करनी चाहिए और जांच की मांग करनी चाहिए।’
बीकेटीसी अध्यक्ष ने कहा, कि अगर ज्योतिर्मठ शंकराचार्य के अपने आरोपों को साबित नहीं कर सकते, तो उन्हें अनावश्यक विवाद खड़ा करने और केदारनाथ की गरिमा को नुकसान पहुंचाने का अधिकार नहीं है। यदि वह कांग्रेस के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह को स्वर्ण मंडित कराने में प्रदेश सरकार और मंदिर समिति का कोई योगदान नहीं है। जिस दानी दाता ने मंदिर को स्वर्ण मंडित किया है, उन्होंने अपने ज्वैलर के माध्यम से केदारनाथ मंदिर में सोना पहुंचाया और वही सोना गर्भगृह में लगा है, जिसका वजन लगभग 23 किलो ग्राम है। इसके साथ ही सपोर्ट के लिए लगाई गई तांबे की प्लेटों का वजन 1000 किलो के करीब है।
श्री बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया, कि स्वर्ण मंडित होने से पहले केदारनाथ धाम के गर्भगृह में 230 किलोग्राम चांदी की प्लेटें लगी थी। भ्रम फैलाने वालों ने अंदाजा लगाया, कि इतने ही सोने का इस्तेमाल गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए किया गया होगा। चांदी की शुद्ध प्लेटें होती हैं, जबकि स्वर्ण मंडित करवाने में तांबे के प्लेटों पर सोने का वर्क (लेयर) चढ़ाया जाता है।
बीकेटीसी अध्यक्ष ने कहा, कि देशभर में जिस मंदिर को भी स्वर्ण मंडित किया गया है, सभी में तांबे की प्लेटों पर ही सोने की परत चढ़ाई गई है। सिर्फ विवाद पैदा करने के लिए इस तरह की अफवाह फैलाई जा रही है, कि 228 किलो सोना गायब हो गया है।
गौरतलब है, कि वर्ष 2022 में द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह की दीवारों को काशी विश्वनाथ और सोमनाथ मंदिर की तरह स्वर्णमंडित किया गया। उस समय तीर्थ पुरोहित संतोष त्रिवेदी ने सोने की जगह तांबे की प्लेट लगाने का आरोप लगाते हुए डेढ़ अरब के घोटाले का आरोप लगाया था। उस वक्त भी बीकेटीसी ने एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया था और इसे मंदिर प्रबंधन को बदनाम करने की साजिश करार दिया था।
बता दें, कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) के दो विशेषज्ञों की निगरानी में गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने का कार्य पूरा कराया गया था। आइआइटी रुड़की, केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) रुड़की और एएसआई की टीमों ने मंदिर का निरीक्षण करके गर्भगृह को स्वर्णमंडित करने की स्वीकृति प्रदान की थी।