राज्य में कमजोर तबके के गरीबों की खाद्य सामग्री डकारने वाले फर्जी और अपात्र राशन कार्डधारकों पर प्रशासन कार्रवाई के मूड में है। फर्जी राशन कार्ड धारकों से अब तक लिए गए राशन की वसूली के साथ ही उनके विरुद्ध मुकदमा भी दर्ज किए जाने की तैयारी है। उत्तराखंड राज्य में वर्तमान में 14 लाख से अधिक अंत्योदय एवं प्राथमिक परिवार राशन कार्डधारक है। बता दें, अंत्योदय राशनकार्ड धारक को सरकार द्वारा तीन रुपये किलो चावल व दो रुपये किलो के हिसाब से गेहूं दिया जाता है। इसके अलावा पांच किलो निशुल्क राशन दिया जाता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जिला पूर्ति कार्यालय 31 मई के बाद अपात्र राशन कार्डधारकों पर मुकदमे दर्ज करेगा। कार्यालय ने अपात्र को ना, पात्र को हां के अंतर्गत अभियान शुरू कर दिया है। बीते दिनों खाद्य आपूर्ति मंत्री रेखा आर्य ने अपात्र राशन कार्डधारकों की ओर से राशन कार्ड समर्पण न करने की दशा में कार्रवाई की बात कही थी। मंत्री के आदेश के बाद, जिला पूर्ति कार्यालय ने कार्रवाई को लेकर कमर कस ली है।
उल्लेखनीय है, कि राज्य में एक लाख 84 हजार से अधिक अंत्योदय एवं 12 लाख 27 हजार से अधिक प्राथमिक परिवारों के राशन कार्ड धारक है। इनमें से भारी तादात में फर्जी एवं अपात्र राशन कार्ड धारक है। जो प्रत्येक महीने गरीबों को निशुल्क और बहुत कम दर पर मिलने वाले राशन का अवैध लाभ ले रहे है। राज्य सरकार फर्जी एवं अपात्र राशन कार्ड धारकों को पहले राशन कार्ड को पूर्ति निरीक्षक कार्यालय में सरेंडर के लिए दस दिनों का समय देगी।
डीएसओ जसवंत सिंह कंडारी ने कहा, कि विभागीय मानकों के अनुसार, अत्योदय योजना का लाभ लेने वालों की वार्षिक आय 15 हजार और राष्ट्रीय खाद्य योजना का लाभ लेने वालों की वार्षिक आय एक लाख 80 हजार से कम होनी चाहिए। उन्होंने बताया, कि वर्ष 2014-15 में अत्योदय और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के सबसे ज्यादा राशन कार्ड बनाए गए है, लेकिन कई परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो चुकी है। ऐसे में वह पात्रता की श्रेणी से स्वत: ही बाहर हो चुके है।