लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद उत्तराखंड में सरकारी नौकरी के सपने देखने वाले युवाओं के सीने में जो वज्रपात हुआ है, उससे ये स्पष्ट है, कि नकल के इस काले धंधे में परीक्षा आयोजित कराने वाली संस्थाओं के कुछ कर्मचारी ही नकल माफिया के गठजोड़ से बेरोजगारों के भविष्य के साथ खेल रहे है।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की लेखपाल भर्ती परीक्षा के पेपर लीक और नकल मामले के सामने आने के बाद सरकार अचंभित और स्तब्ध है। लेखपाल भर्ती परीक्षा पेपर लीक प्रकरण में स्पेशल टास्क फोर्स ने दो और आरोपितों को बीते शुक्रवार 13 जनवरी 2023 को हरिद्वार से गिरफ्तार किया था। यह बेहद अत्यंत गंभीर विषय है, कि भर्ती परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थाओं के ही कुछ लोग नकल के इस काले कारोबार में लिप्त है।
बीते शुक्रवार को धामी कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया, कि भर्ती परीक्षाओ में धांधली रोकने के लिए देश का सबसे सख्त कानून लाया जायेगा। इस नकल विरोधी कानून के तहत दोषी शख्स को आजीवन कारावास का दंड देने की व्यवस्था की जाएगी। इसके साथ ही दस करोड़ का जुर्माना भी वसूला जायेगा। नकल अथवा संलिप्तता पाए जाने पर इस कार्य द्वारा अर्जित संपत्ति को भी जब्त किया जायेगा।
इसके साथ ही नकल में दोषी पाए गए अभ्यर्ती भविष्य में 10 वर्षो तक परीक्षा से वंचित रहेगा। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके लिए जल्द ही अध्यादेश लाया जायेगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, कि प्रदेश के युवाओं का हक मारने वालो को किसी भी सूरत में बक्शा नहीं जायेगा। सीएम धामी ने कहा, कि कानून के माध्यम से ये सुनिश्चित किया जायेगा, कि भविष्य में भी कोई परीक्षाओं में गड़बड़ी करने की हिम्मत ना कर सके।
गौरतलब है, कि पिछले डेढ़ वर्षो में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल की घटनाएं सामने आने के बाद सरकार ने परीक्षा को करवाने का दायित्व उत्तराखंड लोक सेवा आयोग को सौंपा था, लेकिन नतीजा फिर वही ढाक के तीन पात रहा और एक फिर वही कहानी दोहराई गई। इस प्रकार उत्तराखंड के युवाओं को एक बार फिर भ्रष्टाचार का दंश झेलना पड़ा।
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग में कार्यरत अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी और उसकी पत्नी रितु ने रातों-रात करोड़पति बनने के चलते राज्य के बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। बताया जा रहा है, कि यदि पेपर लीक प्रकरण का राज ना खुलता, तो आरोपित संजीव और रितु को अगले 15 दिन के अंदर लगभग 4 करोड़ 20 लाख रुपये मिल जाते।
वहीं राज्य लोक सेवा आयोग में स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) की तैनाती को लेकर आयोग और पुलिस अपना-अपना पक्ष रख रहे है। आयोग के अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर पेपरों की सुरक्षा हेतु एलआईयू तैनात करने की मांग की थी। वहीं पुलिस महानिदेशक कार्यालय के अनुसार, पुलिस और एलआईयू बाहरी सुरक्षा तो उपलब्ध करवा सकता है,लेकिन अतिगोपनीय विभाग में तैनाती संभव नहीं है।
अधिकारियों के अनुसार, आयोग भवन में सुरक्षा के लिए पुलिस विभाग की ओर से बाहर सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए थे। आयोग में तैनात सुरक्षाकर्मियों की जिम्मेदारी बाहर से आने वाले लोगो पर नजर रखने के लिए तय की गई थी, ऐसे में पेपर अतिगोपनीय अनुभाग से लीक हुआ है, तो इस दशा में सुरक्षाकर्मी कुछ भी नहीं कर सकते थे।