14 मार्च से संक्रांति के साथ चैत्र मास की शुरुआत हो गई है। गढ़वाल और कुमाऊं में चैत्र माह की संक्रांति को मनाए जाने वाले बाल लोकपर्व फूलदेई को लेकर उत्सव का माहौल है। प्रातः काल बच्चों की टोलियां ने घर-घर जाकर देहरियों पर रंग-बिरंगे फूल डाले। देवभूमि उत्तराखंड में फूलदेई का पर्व पूरे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। यह पर्व लोकगीतों, मान्यताओं और परंपराओं से जुड़ने का भी एक अच्छा अवसर प्रदान करता है और संस्कृति से जुड़े रहने की प्रेरणा भी देता है।
फूलदेई के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में राजकीय आवास में रंग-बिरंगे परिधानों में सजे बच्चों ने देहरी में फूल व चावल बिखेरकर पारंपरिक गीत ’फूल देई छमा देई, जतुक देला, उतुक सई, फूल देई छमा देई, देड़ी द्वार भरी भकार’ गाते हुए त्योहार की शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सभी बच्चों को आशीर्वाद देते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को फूल देई के त्योहार की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें देते हुए देश व प्रदेश की सुखसमृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा, कि लोकपर्वों का हमारे जीवन में विशेष महत्व है।
Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami celebrated Uttarakhand's folk festival Phool Dei. On this occasion, the Chief Minister extended his heartfelt greetings and best wishes to the people of the state on the festival of Phool Dei and wished for the happiness and prosperity of the… pic.twitter.com/x7fzEXrJkJ
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) March 14, 2024
उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ सभ्यता और लोक संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। देवभूमि उत्तराखंड में कई लोकपर्व और त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन एक त्योहार ऐसा भी है, जिसे चैत्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है। इस त्योहार को ‘फूलदेई’ के नाम से जाना जाता है। बता दें, कि फूलदेई के दिन घोघादेवी की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष तौर पर फ्योंली और बुरांस के फूलों को देहरी पर रखा जाता है।