समान नागरिक संहिता (UCC) को उत्तराखंड विधानसभा में पेश कर दिया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने UCC विधेयक को सदन के पटल पर रखा। अब उत्तराखंड विधानसभा इस पर चर्चा करेगी जिसके बाद इसे यहाँ से पारित किया जाएगा। समान नागरिक संहिता उत्तराखंड 2024 विधेयक पेश करने के बाद राज्य विधानसभा में विधायकों ने “वंदे मातरम और जय श्री राम” के नारे लगाए।
विधानसभा में ऐतिहासिक "समान नागरिक संहिता विधेयक" पेश किया। #UCCInUttarakhand pic.twitter.com/uJS1abmeo7
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 6, 2024
मंगलवार (6 फरवरी 2024) को उत्तराखंड विधानसभा सत्र के दूसरे दिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक पटल पर रखा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भारतीय संविधान की एक प्रति के साथ देहरादून स्थित अपने राजकीय आवास से रवाना हुए थे।
"विधानसभा जाने से पूर्व देश के संविधान की मूल प्रति…"
देश के संविधान निर्माताओं की अपेक्षाओं के अनुरूप भारत के संविधान के अनुच्छेद 44 को सार्थकता प्रदान करने की दिशा में आज का दिन देवभूमि उत्तराखण्ड के लिए विशेष है।
देश का संविधान हमें समानता और समरसता के लिए प्रेरित करता है… pic.twitter.com/EfvPjTXN50
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गौरतलब है, कि इस विधेयक को उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र में पेश किया गया है। सत्र की कार्यवाही सोमवार 5 फरवरी से बृहस्पतिवार 8 फरवरी तक चलेगी। इस विधेयक को रविवार 4 फरवरी को उत्तराखंड की कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान की थी। यूसीसी का ड्राफ्ट पाँच सदस्यीय कमेटी ने 2 फरवरी को उत्तराखंड सरकार को सौंपा था। इस विधेयक को पेश करने के साथ ही उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है, जहाँ विधानसभा में UCC कानून लाया जा रहा है।
जानिए क्या होगा UCC का उत्तराखंड में प्रभाव?
समान नागरिक संहिता लागू होने से बहुविवाह पर रोक लगेगी। महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा एवं बच्चों को गोद लेने का भी अधिकार मिल सकता है। सभी धर्मों में लड़की की शादी की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होगी। वर्तमान में मुस्लिम समाज शरिया पर आधारित पर्सनल लॉ के तहत संचालित होता है। इसमें मुस्लिम पुरुषों को चार विवाह की इजाजत है। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद मुस्लिम लड़कियों को भी लड़कों के बराबर अधिकार दिया जाएगा।
यूसीसी लागू होने से मुस्लिम समुदाय में इद्दत और हलाला जैसी कुरीतियों पर प्रतिबंध लग सकता है। तलाक के मामले में शौहर और बेगम को सामान अधिकार मिलेंगे। समान नागरिक संहिता में सभी धर्म के लोगों को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पंजीकरण कराना जरूरी किया जाएगा। इसमें महिला और पुरुष की पूरी जानकारी होगी। ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को भी जानकारी देनी होगी।
समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह का पंजीकरण कराना भी अनिवार्य किया जा सकता है। बिना रजिस्ट्रेशन विवाह अवैध माना जायेगा। समान नागरिक संहिता में नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में पत्नी को मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही बेटे के बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी। अगर पति की मृत्यु के बाद पत्नी दोबारा शादी करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता को दिया जाएगा।
यूसीसी के तहत अनाथ बच्चों के लिए संरक्षण की प्रक्रिया को भी सरल बनाया जा रहा है। पति-पत्नी के बीच विवाद की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उसके दादा-दादी को दिए जाने का प्रावधान किया जा सकता है।