
STF ने दो शातिर साइबर ठगों को गिरफ्तार किया,(फोटो साभार: etvbharat)
स्पेशल टास्क फोर्स ने अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश करते हुए दो शातिर साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है, कि गिरफ्त में आये ठगों में एक सिर्फ दसवीं कक्षा पास है, जो अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों का ट्रेनर है। आरोप है, कि ये दोनों अन्य साइबर अपराधियों को फेक कमर्शियल बैंक अकाउंट उपलब्ध कराते थे, जिनमें करोड़ों रुपए का लेनदेन किया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मार्च 2025 के पहले हफ्ते में दक्षिण एशियाई मुल्कों से संचालित साइबर ठगों के नेटवर्क के खिलाफ भारत सरकार ने सख्त कार्रवाई की थी। इस अभियान के तहत पड़ोसी देश म्यांमार से लगभग 540 भारतीय नागरिकों को स्वदेश वापस लाया गया था। बता दें, कि स्वदेश लौटने वालों में से 22 उत्तराखंड राज्य के नागरिक थे। जिसके संबंध में एसटीएफ एसएसपी नवनीत भुल्लर के पर्यवेक्षण में एक स्पेशल टीम का गठन किया गया।
एसटीएफ की टीम ने सीबीआई और इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के साथ मिलकर संयुक्त पूछताछ की थी। पूछताछ के दौरान उत्तराखंड में सक्रिय साइबर अपराधियों के संबंध में जानकारियां प्राप्त हुई थी। सूचना के आधार पर टीम ने रायपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत महाराणा प्रताप चौक से आगे थानों रोड पर जिला पंचायत चुंगी के पास से दो संदिग्ध आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
साइबर ठगों का अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह के साथ क्रिप्टो करेंसी में रुपयों का अवैध लेनदेन होता था। इसके अलावा साइबर अपराधियों के मोबाइलों में क्रिप्टो करेंसी में लाखों रुपए का बैलेंस भी मिला है। एसटीएफ की टीम ने आरोपियों से 1 लैपटॉप, 7 मोबाइल, 1 पासपोर्ट, 2 चेक बुक, 3 डेबिट कार्ड, 2 पैन कार्ड, 1 पास बुक, 1 स्टाम्प मोहर और किसी फर्म के नाम से मोहर लगे 4 एसबीआई बैंक के फार्म आदि बरामद किये।
पुलिस के अनुसार , आरोपी संदीप और हरजिंदर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिये साइबर ठगों के संपर्क में आए थे। इन आरोपियों ने अलग-अलग लोगों को झांसे और विभिन्न प्रकार से लालच में लेकर फर्मों के नाम से कई बैंकों में करंट अकाउंट्स खुलवाए। अकाउंट खुलवाने के बाद वो अकाउंट से संबंधित चेक बुक, पासबुक, इंटरनेट बैंकिंग के यूजर-पासवर्ड, डेबिट कार्ड और बैंक अकाउंट लिंक ओटीपी मोबाइल नंबर अपने पास रख लेते थे।
टेलीग्राम अकाउंट से साइबर अपराधियों को एक अन्य एप के माध्यम से अकाउंट लिंक दिए जाते थे। जिसमें मैसेज फॉरवर्ड एप के जरिए ओटीपी नंबर लिंक कर देते थे। उसके बाद ये सभी अकाउंट पूरे भारत के अलावा अन्य देशों में भी अलग-अलग प्रकार के साइबर अपराधों में ट्रांजेक्शन के लिए उपयोग करते थे। प्रत्येक अकाउंट में ट्रांजेक्शन हुई धनराशि का 1% के हिसाब से आरोपी संदीप और हरजिंदर को क्रिप्टो करेंसी से वॉलेट में यूएसडीटी (क्रिप्टो करेंसी) में भुगतान मिलता था।
इसके बाद आरोपी दोबारा टेलीग्राम चैनल के माध्यम से साइबर ठगों को कम दामों पर बेचकर भारतीय मुद्रा में धनराशि हासिल कर लेते थे। इन धनराशियों को वो विभिन्न खातों (जिन्हें स्वयं संचालित किया जाता है) उसमें ट्रांसफर करवा ले लेते थे। फिर एटीएम से कैश में निकाल लेते थे।
पूछताछ के डॉरटन आरोपियों ने बताया, कि बीते एक साल के अंदर साइबर ठगों ने प्रॉफिट के रूप में लगभग 1 करोड़ 20 लाख की धनराशि हासिल कर चुके थे। जिसमें से करीब 25 लाख मार्च महीने में ही हासिल किये थे। आरोपी संदीप सिंह और हरजिंदर सिंह के मोबाइल के डिजिटल वॉलेट में लाखों रुपए की क्रिप्टो करेंसी भी पाई गई है।
एसटीएफ एसएसपी, नवनीत भुल्लर ने बताया, कि गिरफ्तार संदीप फ्लैग कॉरपोरेट अकाउंट खुलवाने का एक्सपर्ट है। इसकी दक्षता को देखते हुए साइबर अपराधियों ने इसे जून-जुलाई 2024 में मलेशिया बुलाया था। इस दौरान संदीप ने साइबर अपराधियों को प्रशिक्षण भी दिया था। विवेचना के दौरान आरोपियों से बरामद ट्रस्ट वॉलेट के ट्रांजेक्शन डिटेल की जानकारी जुटाई जा रही है।