उत्तराखंड में सशक्त भू-कानून और मूल निवास 1950 को लागू करने की मांग को लेकर विभिन्न जिला मुख्यालयों में स्वाभिमान रैली का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में रविवार (18 फरवरी 2024) को तड़ियाल चौक, देवी मंदिर, मोटर नगर होते हुए लाल बत्ती चौक बदरीनाथ मार्ग से कोटद्वार तहसील तक महारैली निकाली गई। मूल निवास भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति द्वारा आयोजित स्वाभिमान रैली में भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ा।
स्वाभिमान रैली में लोग ढोल-नगाड़ों के साथ कोटद्वार की सड़कों पर उतरे और सरकार से उत्तराखंड राज्य में सशक्त भू-कानून और मूल निवास 1950 को लागू करने की मांग की। पुलिस प्रशासन ने भारी भीड़ उमड़ने के मद्देनजर कोटद्वार में जगह-जगह भारी सुरक्षा व्यवस्था का इंतजाम किया था। बता दें, कि स्वाभिमान रैली का आयोजन इससे पहले देहरादून, हल्द्वानी और नई टिहरी में हो चुका है।
मूल निवास, भू- कानून समन्वय संघर्ष समिति’ के संयोजक मोहित डिमरी ने हल्द्वानी की घटना की कड़ी भर्त्सना करते हुए कहा, कि देवभूमि की पहचान शांति की रही है। उन्होंने कहा, कि बाहरी तत्व प्रदेश की शांति के लिए बहुत बड़ा खतरा है और सशक्त भू-कानून किसी भी बाहरी तत्व के खिलाफ सबसे असरदार हथियार है। उन्होंने कहा, कि गढ़वाल मंडल के द्वार कोटद्वार से मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन का शंखनाद होने जा रहा है।
समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा, कि कोटद्वार की धरती क्रांतिकारियों की धरती है। यहां से इस आंदोलन का संदेश पूरे पहाड़ में जाएगा और एक नई क्रांति की शुरूआत होगी। उन्होंने कहा, कि प्रदेश में न केवल हल्द्वानी बल्कि तमाम दूसरे इलाकों में भी अवैध अतिक्रमण मौजूद हैं, जिनके खिलाफ सरकार बुलडोजर चलाने की बात कहती है, लेकिन असल समाधान बुलडोजर नहीं बल्कि मजबूत भू-कानून है।
स्वाभिमान रैली में उपस्थित लोगों ने कहा, कि उत्तराखंड के लोग अपना अस्तित्व बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। अभी नहीं लड़े, तो आने वाले समय में मूल निवासियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। यह लड़ाई पहाड़ का वजूद, स्वाभिमान, संस्कृति और संसाधन बचाने की लड़ाई है। उन्होंने कहा, कि उत्तराखंड की अस्मिता तभी बचेगी, जब मूल निवास और मजबूत भू कानून लागू होगा। बता दें कि राज्य में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग की जा रही है।