देवभूमि उत्तराखंड के वनों में अब किसी भी प्रकार की मजहबी संरचनाओं समेत अन्य अतिक्रमण को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित किये जाने के बाद धामी सरकार ने इस दिशा में कड़े कदम उठाने का निर्णय लिया है। देवभूमि में पिछले कुछ वर्षो में कुकुरमुत्ते की तरह उग आई मजारों पर अब प्रशासन का बुलडोजर चलने लगा है।
उल्लेखनीय है, कि अभी तक मजहबी संरचनाओं की आड़ में हुए अतिक्रमण को संवेदनशील मुद्दा मानते हुए ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से वन विभाग अपने कदम पीछे खींच लेता था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इसी क्रम में देहरादून और पौड़ी जिलों के वनों में अवैध रूप से बनी 15 मजारों को ध्वस्त कर दिया गया है। उत्तराखंड के जंगलो में हो रहे अवैध अतिक्रमण को लेकर उच्च न्यायालय गंभीर चिंता व्यक्त कर चुका है।
इस दौरान वन विभाग के अंतर्गत आने वाली भूमि के सड़क से लगी 13 मजारें और देहरादून रिंग रोड समेत अन्य जगह से दो मजारें हटाकर अपने अभियान की शुरुआत कर दी। वन विभाग ने अपनी भूमि पर बनी 17 मजारों को चिह्नित किया गया था, हालाँकि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के दौरान दस्तावेज दिखाए जाने के बाद दो मजारों को फिलहाल छोड़ दिया गया है। बताया जा रहा है, कि दो दिन पहले बेहद गोपनीय तरीके से वन विभाग ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है।
बीते बुधवार (14 दिसंबर 2022) जनपद पौड़ी स्थित विकासखंड कल्जीखाल क्षेत्र के चिलौली में निर्मित अवैध मजार को राजस्व विभाग ने ध्वस्त कर दिया। जिला प्रशासन के निर्देश पर 13 नवंबर को राजस्व विभाग की टीम ने मजार क्षेत्र का निरिक्षण किया, तो यह जानकारी सामने आई, कि मजार चारगाह की भूमि पर अवैध रूप से निर्मित थी।
पौड़ी में वन विभाग की जमीन पर बनी मजार के टीन शेड निर्माण के लिए विधायक निधि से दो लाख रुपए स्वीकृत किए जाने की सूचना भी सामने आई थी। कुछ दिनों पहले यह प्रकरण सोशल मीडिया में वायरल हो गया, और मामला सुर्खियों में छा गया था। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आगामी कुछ दिनों में प्रदेश के अन्य जिलों में बनी अवैध मजारों पर कार्रवाई होगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा कुछ महीनों पहले अवैध रूप से बनी मजारों पर सख्त कार्रवाई की बात कही थी।