शीतकालीन विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बुधवार (30 नवंबर 2022) को जबरन धर्मांतरण के मामलों को रोकने के लिए धामी सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता (संशोधन) विधेयक 2022 को सदन पटल पर रखा है। इस विधेयक में जबरन धर्मांतरण पर कड़ी सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
उल्लेखनीय है, कि धर्मांतरण कानून अस्तित्व में आते ही जबरन धर्मांतरण गैर जमानती अपराध होगा। सामूहिक धर्मांतरण में आरोप सिद्ध होने पर तीन से दस वर्ष की सजा और 50 हजार जुर्माना लगाया जाएगा, वहीं एक शख्स के धर्मांतरण पर दो से सात वर्ष की सजा के साथ 25 हजार का जुर्माना भुगतना होगा।
उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता कानून में यह भी सुनिश्चित किया गया है, कि देवभूमि उत्तराखंड में यदि कोई शख्स स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन करना चाहता है, तो उसे दो माह के भीतर जिलाधिकारी को लिखित में प्रार्थना पत्र देना होगा। धर्म परिवर्तन करने के लिए प्रार्थना पत्र देने के 21 दिनों के अंदर संबंधित शख्स को जिलाधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होना पड़ेगा।
जिलाधिकारी द्वारा धर्म परिवर्तन करने वाले शख्स की सम्पूर्ण जानकारी सूचना बोर्ड पर अंकित करनी होगी। इस दौरान यदि कोई शख्स प्रक्रिया अवधि से पहले अन्य धर्म में परिवर्तन करता है, तो उसे कानूनी रूप से धर्म परिवर्तन नहीं समझा जाएगा। धामी सरकार ने संशोधन विधेयक में जबरन धर्मांतरण पर सजा की समय अवधि में बढ़ोतरी की है। इसके अलावा पीड़ितों को अदालत के माध्यम से पांच लाख रुपये की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
उल्लेखनीय है, कि कानून के धरातल में उतरते ही देवभूमि उत्तराखंड में धर्मांतरण का कानून अब संज्ञेय व गैर जमानती अपराध की श्रेणी में आएगा। संसोधित विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया, कि जबरन धर्मांतरण की शिकायत कोई भी शख्स दर्ज करा सकता है।