छात्र राजनीती से निकलकर विधान परिषद सदस्य, विधायक, मुख्यमंत्री, राज्यसभा सदस्य, लोकसभा सांसद और राज्यपाल की कुर्सी तक पहुंचने के बाद 75 वर्षीय भगत सिंह कोश्यारी ने बेहद सादगी से सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया है। पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, मेरा काम सृजन और समन्वय का है। भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें बहुत सम्मान दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार (24 फरवरी 2023) को उत्तरांचल प्रेस क्लब पहुंचे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, कि मैं सक्रिय राजनीति में नहीं आऊंगा। अब मैं उत्तराखंड को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कार्य करूंगा। मीडिया कर्मियों के सामने खुलकर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा, कि मेरी यही इच्छा है, कि उत्तराखंड हिमालय जैसा स्वच्छ और गंगा जैसा पावन राज्य बनने के साथ ही आत्मनिर्भर बने।
‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रशंसा करते हुए भगत सिंह कोश्यारी ने कहा, कि यहां कोई गुरु चेला नहीं होता। मुझे कभी पद का लालच नहीं रहा है, लेकिन पद ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा। पूर्व राज्यपाल कोश्यारी ने उनकी वापसी के बाद राज्य में चल रही सभी चर्चाओं पर विराम लगाते हुए कहा, कि वह सक्रिय राजनीति से दो महीने पहले ही बहुत दूर हो चुके है और उन्हें किसी भी तरह के पद की लालसा नहीं है।
देहरादून
➡पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पहुंचे उत्तरांचल प्रेस क्लब
➡स्वास्थ्य ठीक न रहने के चलते दिया इस्तीफा-कोश्यारी
➡उत्तराखंड समृद्धि भरा हो, यही चाहता हूं – कोश्यारी
➡'जो भी समय बचा हुआ है इसी दिशा में काम करूंगा'#Dehradun @BSKoshyari pic.twitter.com/kjykBCb2dv
— भारत समाचार | Bharat Samachar (@bstvlive) February 24, 2023
बता दें, भगत सिंह कोश्यारी का जन्म 17 जून 1942 को उत्तराखंड के बागेश्वर स्थित नामती चेताबागड़ गांव में हुआ था। छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल कोश्यारी को उत्तराखंड में भाजपा को स्थापित करने वाले दिग्गज नेताओं में शुमार किया जाता है। उल्लेखनीय है, कि भगत सिंह कोश्यारी ने अपना सम्पूर्ण जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी को समर्पित किया है।
भगत सिंह कोश्यारी ने अपनी प्रराम्भिक शिक्षा अल्मोड़ा में ग्रहण की और उसके पश्चात आगरा यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी साहित्य में पढ़ाई की है। आपातकाल में भगत सिंह कोश्यारी लगभग दो साल तक अल्मोड़ा और फतेहगढ़ जेल में भी रहे। कोश्यारी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव रहने के साथ ही उत्तराखंड भाजपा के पहले अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2002 में विधानसभा चुनाव में बीजेपी के हार जाने के बाद कोश्यारी ने 2002 से 2007 तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी बखूबी संभाली।
इसी दौरान 2007 में बीजेपी की उत्तराखंड की सत्ता में वापसी हुई, लेकिन पार्टी ने उन्हें सीएम नहीं बनाया, इसके बजाये बीजेपी ने भगत सिंह कोश्यारी को 2007 से 2009 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी, इसके बाद वह 2008 से 2014 तक उत्तराखंड से राज्यसभा के सदस्य चुने गए थे।
2014 में बीजेपी ने भगत सिंह कोशियारी को नैनीताल संसदीय सीट से उन्हें मैदान में उतारा और वह जीतकर पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए, लेकिन 2019 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया। पार्टी के प्रति समर्पण और सेवा भाव को देखते हुए भगत सिंह कोश्यारी को मोदी सरकार ने महाराष्ट्र के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपी थी।