देवभूमि उत्तराखंड में (17 अगस्त 2023) को लोकपर्व घी संक्रांति धूमधाम से मनाई गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेशवासियों को देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व घी संक्रांति (घ्यू/ओल्गिया त्यार) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा, “भगवान सूर्य देव से कामना करता हूं कि आप सभी का जीवन सुख, समृद्धि और यश से परिपूर्ण हो।”
आप समस्त प्रदेशवासियों को देवभूमि उत्तराखण्ड के लोकपर्व घी संक्रांति (घ्यू/ओल्गिया त्यार) की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। भगवान सूर्य देव से कामना करता हूं कि आप सभी का जीवन सुख, समृद्धि और यश से परिपूर्ण हो। pic.twitter.com/quug9JEhz8
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) August 17, 2023
इस अवसर पर पितरों और देव मंदिरों में फल और मौसमी सब्जियां चढ़ाई गई। भादो के आगमन पर खेती और पशुपालन से यह घी त्यार विशेष पर्व माना जाता है। इस दिन मुख्यतः अरबी के पत्तों का प्रयोग किया जाता है। सर्वोत्तम अरबी के पत्ते और मौसमी फल सब्जियां और फल अपने कुल देवताओं को चढ़ाई जाती है। उसके बाद गाँव के लोगो और रिश्तेदारों को उपहार स्वरुप दी जाती है।
बता दें, उत्तराखंड में माह का प्रत्येक एक दिन यानी संक्रांति को लोक उत्सव के रूप में मनाने की प्रथा है। भाद्रपद (भादो) मास की संक्रांति, जिसे सिंह संक्रांति भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य सिंह राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे सिंह संक्रांति भी कहा जाता है। घी त्यार अंकुरित फसल बोने के बाद मनाया जाने वाला त्योहार है। यह खेती और पशुपालन से जुड़ा लोकपर्व है।
यही वह समय है जब वर्षा के मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में अंकुर आना शुरू हो जाते हैं। इसलिए किसान अच्छी फसल की कामना करके उत्सव मनाते है। इस लोकपर्व को लेकर मान्यता है, कि जो व्यक्ति इस दिन घी का सेवन नहीं करता है, वो अगले जन्म में घोंघे के रूप में जन्म लेता है। इसलिए सभी लोग सूर्य भगवान की पूजा करने के बाद घी का सेवन जरूर करते है।