उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नदियों के तल पर मशीनों द्वारा किये जा रहे खनन पर रोक लगा दी है। इस संबंध में हाईकोर्ट ने सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर दिए है। सोमवार (19 दिसंबर 2022) को हाईकोर्ट में हल्द्वानी के हल्दूचौड़ निवासी गगन परासर व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, कि राज्य में मशीनों से खनन की मंजूरी नहीं है, फिर भी प्रदेश में भारी मशीनों के जरिये खनन किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की बेंच ने सचिव खनन से सवाल पूछा, कि वन विकास निगम की वेबसाइट पर प्रति कुंतल रॉयल्टी 31 रूपया और प्राइवेट खनन वालों की वेबसाइट पर 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी किस प्रकार है। हाई कोर्ट ने 12 जनवरी तक शपथपत्र के जरिये इस विषय पर जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए है।
जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान, हाईकोर्ट ने सभी जनपदों के जिलाधिकारियों को नदी तल पर खनन के लिए लगी भारी मशीनों को सीज करने के भी आदेश भी दिए है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को तय की गई है। बता दें, वन निगम की वेबसाइट पर 31 रुपया प्रति कुंतल और प्राइवेट में 12 रुपया प्रति कुंतल रॉयल्टी है।
इस वजह से निजी खनन कारोबारी कम टैक्स का भुगतान कर रहे है, और सरकारी ज्यादा टैक्स दे रही, जिससे सरकार को नुकसान हो रहा है। इस कारण उपभोक्ता निजी खनन कारोबारियों से माल खरीद रहे है।