नैनीताल हाईकोर्ट ने उत्तराखंड में लोकायुक्त की नियुक्ति व लोकायुक्त संस्थान को सुचारू रूप से संचालित किए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को आठ सप्ताह में नियुक्ति के आदेश दिए है। उच्च न्यायालय ने आदेश अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश जारी करते हुए तब तक लोकायुक्त कार्यालय में हो रहे खर्च पर भी रोक लगा दी। मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार (27 जून 2023) को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की बेंच ने हल्द्वानी गौलापार निवासी समाजसेवी रविशंकर जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई की। याचिका में याचिकाकर्त्ता ने कहा है, कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की है, जबकि संस्थान के नाम पर प्रतिवर्ष दो से तीन करोड़ खर्च किया जा रहा है।
बता दें, इस मामले में पहले हुई सुनवाई में अदालत ने सरकार से शपथपत्र के माध्यम से यह स्पष्ट करने को कहा था, कि लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए अभी तक क्या किया और संस्थान जब से बना है तब से 31 मार्च 2023 तक इस पर कितना खर्च हुआ। कोर्ट ने इसका वर्षवार विवरण भी पेश करने के निर्देश दिए थे। इस पर सरकार ने कोर्ट को बताया, कि 2010-11 से अब तक आवंटित 36 करोड़ में से करीब 30 करोड़ खर्च हो चुके है। इस वर्ष भी दो करोड़ 44 लाख आवंटन किया गया है।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दलील दी है, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लोकायुक्त के माध्यम से भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा रही है, लेकिन उत्तराखंड में हर एक छोटे से छोटा मामला उच्च न्यायालय में लाना पड़ रहा है। जनहित याचिका में कहा गया है, कि उत्तराखंड राज्य में कोई भी ऐसी जांच एजेंसी नही है जिसके पास यह अधिकार हो की वह बिना शासन की पूर्वानुमति के किसी भी राजपत्रित अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज कर सके।
याचिकाकर्त्ता ने कहा, कि स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नाम पर प्रचारित किया जाने वाला सतर्कता विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है, जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही रहता है। जनहित याचिका के अनुसार, पूर्व के विधानसभा चुनावों में सियासी पार्टियों द्वारा राज्य में अपनी सरकार बनने पर भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए एक सशक्त लोकायुक्त की नियुक्ति का वादा किया था, जो आज तक पूरा नहीं हुआ।