देश विदेश में विख्यात पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा, जिन्होंने हिमालय के जंगलों की रक्षा के लिए और समाज की कुरीतिओं से लड़ने में अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। हिमालय के रक्षक कहे जाने वाले पर्यावरणविद दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा के उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें पद्मविभूषण समेत कई अन्य अलंकारों से सुशोभित किया गया था, और वर्तमान में उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी उठ रही है। परन्तु वर्तमान में दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा के परिजन सरकारी सिस्टम की बेरुखी के चलते ,उन्हें मिलने वाली स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पेंशन ट्रांसफर करने के लिए भटक रहे है।
पर्यावरणविद दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा (Sunder Lal Bahugana) का नाम उत्तराखंड राज्य में बड़े सम्मान से लिया जाता है। लेकिन देहरादून स्थित मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय की नजरो में उनका सम्मान कितना है, इसकी बानगी तब देखने को मिलती है,जब दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा के पुत्र राजीव नयन बहुगुणा अपने पिता की स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पेंशन अपनी माता विमला बहुगुणा के नाम ट्रांसफर करने के लिए देहरादून स्थित मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय पहुंचते है।
देहरादून स्थित मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय में अपने पिता की पेंशन हस्तांतरित करवाने पहुंचे राजीव नयन बहुगुणा को वहां के अधिकारियो ने बताया,कि उनके पिता के पेंशन के कागजात खो गए है। गुम हो चुके दस्तावेजो के बदले नए पेंशन दस्तावेज दोबारा जमा करने के बाद भी कार्यलय के अधिकारियों ने मौन साढ़े रखे। मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय के अधिकारियो का अभिमान और स्वयं को सर्वेसर्वा मानने की मनोदशा उस चरम स्थिति को प्राप्त कर गया है, जहां वे इस प्रकरण में बात सुनने के लिए भी तैयार नहीं है।
दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा के अपमान और कार्यलय के सरकारी अधिकारियो के व्यवहार से आहात राजीव नयन बहुगुणा ने आरोप लगते हुए कहा,कि उनके पिता के पेंशन दस्तावेज मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय की लापरवाही के चलते गुम हो गए है। अगर कार्यलय से दस्तावेज गुम हो रहे है, तो जबाबदेही कार्यलय के अधिकारियों की ही बनती है। कार्यलय के अधिकारी दस्तावेज गुम होने की बात कह कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे है। और तो और दोबारा दस्तावेज जमा करने पर भी उनकी कोई सुनवाई नहीं है। उन्होंने कहा, कि सरकारी तंत्र की संवेदना मर चुकी है। उनके पास देश के पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के प्रकरण के लिए भी वक्त नहीं है।
मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय के अधिकारियो की कार्य प्रणाली से आहात दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा के पुत्र राजीव नयन बहुगुणा द्वारा सोशल मीडिया ने सवेंदनहीन हो चुके सिस्टम पर सवाल उठाते हुए कहा, कि अब उन्हें पेंशन भी नहीं चाहिए।
इस प्रकरण में देहरादून के जिलाधिकारी डॉ आर राजेश कुमार द्वारा कहा गया, कि दिवंगत सुंदरलाल बहुगुणा पेंशन मामला मेरे संज्ञान में आया है। मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय की लापरवाही पर मुख्य कोषाधिकारी अधिकारी को जल्द पेंशन प्रकरण के निस्तातरण के आदेश दिए गए है।
मुख्य कोषाधिकारी कार्यलय की नाकारापने वाली कार्य प्रणाली का शिकार, यदि स्वयं देश विदेश में विख्यात पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा के परिजनों को होना पड़ रहा है, तो उस कार्यलय में आम जनमानस की सुनवाई का स्तर क्या होगा इसका अंदाजा एक स्वस्थ मानसिक सोच वाला आसानी से लगा सकता है। सरकारी कार्यलय में कार्य करने वाले कुछ कर्मचारी अपनेआप को कलयुग का स्वयंभू भगवान समझते है। जो बगैर दान-दक्षिणा के प्रसन्न नहीं होते है। और जनता के प्रतिनिधि देख कर भी अनजान बने रहते है।