भारत पुरातन काल से ही वेद, उपनिषद ,प्राचीन मंदिरो और ऋषि मुनियो की तपस्या स्थली रहा है। जगतगुरु के नाम से विख्यात भारतवर्ष में सनातन आस्था के प्रतीक कई मंदिरो की स्थापना आदिकाल से हमारी श्रद्धा के केंद्र रहे है। लेकिन वर्तमान समय में हजारो साल पुरानी हमारी सनातन संस्कृति को महज कुछ सौ वर्षो पूर्व अस्तित्व में आये समुदाय विशेष के द्वारा चुनौती दी जा रही है। और हिन्दू आस्था के केंद्र प्राचीन मंदिरो पर अवैध दावा कर सनातन संस्कृति का पालन करने वालो की भावनाओ से खिलवाड़ किया जा रहा है।
वैसे तो भारतवर्ष में स्थापित प्रत्येक मंदिर का अपना एक अलग महत्व और दर्शन है। लेकिन उत्तराखंड देवभूमि में स्थित चार धामों में से एक बद्रीनाथ भगवान के धाम की अलग ही महिमा और महत्व है। भगवान बदरीनाथ धाम सनातन धर्म में आस्था रखने वालो के लिए एक विशेष पवित्र स्थल है। वर्तमान में बद्रीनाथ धाम पर एक मौलाना का पुराना वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें मौलाना पवित्र “बदरीनाथ धाम को बदरुद्दीन शाह का स्थान बता रहा है”।
Old video, nevertheless this represents the threat that our hills in particular and entire north in general face – onus to counter this and deal with it lies with us citizens- govt will help but demand has to come from society https://t.co/3FpIaVA8Li
— Alok Bhatt (@alok_bhatt) July 25, 2021
सनातन आस्था के केंद्र भगवान बद्रीनाथ के मंदिर पर कुछ मौलाना द्वारा बेवजह का विवाद खड़ा कर दिया है। पूर्व में भी भगवान बद्रीनाथ की आरती एक मुसलमान द्वारा लिखे जाने की भ्रामक खबर उड़ाने जाने के बादअब मंदिर पर ही हक जामने की बात की जा रही है। कुछ दिन पूर्व बद्रीनाथ धाम से कुछ दूरी पर नमाज पढ़े जाने से स्थानीय जनता बेहद आहात है।
हिन्दू प्राचीन ग्रन्थ महाभारत और अन्य पुराणों में भगवान बद्रीनाथ धाम का उल्लेख मिलता है। इसी बदरी भूमि का तीर्थ के रूप में बड़ा भारी महत्व है स्कंद पुराण में लिखा है…
बहूनि संति तीर्थानि दिवि भूमौ रसासूच।
बदरी सादृश्य तीर्थ न भूतो ना भविष्यति।।
भगवान बद्रीनाथ धार्मिक दृष्टि से और आध्यात्मिक दृष्टि से गढ़वाल के प्रमुख देवता है। भगवान विष्णु के अवतार को ही भगवान बद्रीनाथ माना जाता है। भगवान विष्णु का यह बद्री रूप सतयुग से यहां विद्यमान है। स्कंद पुराण में तो कृत युग से भी पहले भगवान की स्थिति यहां मानी गई है तथा मंदिर के पास स्थित तप्त कुंड की उत्पत्ति अग्नि तीर्थ से मानी गई है।भगवान बद्रीनाथ समस्त उत्तराखंड क्षेत्र के मुख्य देवता है इनकी शक्ति महान है, यह सृष्टि के कर्ता- भर्ता और हर्ता हैं, इनमें स्वयंभू शक्तियां है।
सतयुग में इसका नाम मुक्ति प्रद क्षेत्र है, त्रेतायुग में इसे योगसिद्धि प्रद क्षेत्र कहा गया है, द्वापर युग में इसका नाम विशाला है और कलयुग में इसे बद्रिकाश्रम कहते है। बद्रीनाथ मंदिर के आस-पास की भूमि बदरी क्षेत्र कहलाती है इस भूमि के अंतर्गत पांच बदरी हैं जिनमें सर्वप्रथम बद्रीनाथ या विशाल बदरी, योग बदरी या पांडुकेश्वर, भविष्य बदरी (तपोवन के निकट) वृद्ध बदरी और ध्यान बदरी (उखीमठ) स्थान पर स्थित है।
उत्तराखंड में इन दिनों बाहरी प्रदेशो के पूंजीपतियों द्वारा की जा रही जमीनों की अंधाधुन खरीद फरोख्त के चलते हिमाचल प्रदेश के तर्ज पर सख्त भू कानून की मांग तेज हो गयी है। उत्तराखंड की जनता एक लम्बे समय से भू – कानून के संघर्षरत है। सख्त कानून के बाद ही उत्तराखंड की सभ्यता और संस्कृति का संरक्षण सही प्रकार से हो सकेगा। अतः उत्तराखंड भाजपा को जल्द से जल्द कड़ा भू कानून लाने की जरुरत है। जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा भू – कानून में संसोधन के विषय में शीघ्र ही निर्णय लिया जा सकता है।