देवभूमि उत्तराखंड ने इतिहास रच दिया है। बुधवार (7 फरवरी 2024) को विधानसभा सत्र के दौरान चर्चा के बाद समान नागरिक संहिता बिल (UCC) ध्वनिमत से पारित हो गया। इसके साथ ही उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। पूरे दिनभर विधानसभा में विधेयक से जुड़े सूक्ष्म पहलुओं पर चर्चा से पहले सदन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संबोधन हुआ।
The Uniform Civil Code Uttarakhand 2024 Bill, introduced by Chief Minister Pushkar Singh Dhami-led state government, passed in the House.
After passing the UCC Bill in the Assembly, Uttarakhand has become the first state in the country to implement the Uniform Civil Code. pic.twitter.com/7KGYYm3XLJ
— ANI (@ANI) February 7, 2024
प्रस्ताव पारित होने से पहले विधेयक के पक्ष में अपने संबोधन में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, कि हमारे संविधान निर्माताओं ने जो सपना देखा था, वह जमीन पर उतरकर हकीकत बनने जा रहा है। हम इतिहास रचने जा रहे है। देश के अन्य राज्यों को भी उसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, “आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारी डबल इंजन सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इतिहास में 21वीं सदी के तीसरे दशक को महिला सशक्तिकरण के दशक के रूप में याद रखा जाएगा।”
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के नेतृत्व में हमारी डबल इंजन सरकार द्वारा महिलाओं के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इतिहास में 21वीं सदी के तीसरे दशक को महिला सशक्तिकरण के दशक के रूप में याद रखा जाएगा।#UCCInUttarakhand pic.twitter.com/Lp3us3WFIo
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 7, 2024
उत्तराखंड विधानसभा में समान नागरिक संहिता विधेयक पारित होने के उपरांत मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री धामी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कि आज उत्तराखंड के लिए विशेष दिन है। मैं पीएम मोदी का भी धन्यवाद करना चाहता हूं। ये कानून समानता का है। ये कानून हम किसी के खिलाफ नहीं लाए, बल्कि उन माताओं बहनों का आत्मबल बढ़ाएगा, जो किसी प्रथा, कुरीति की वजह से प्रताड़ित होती थी।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा, हमने 12 फरवरी 2022 को इसका संकल्प लिया था। इसे जनता के सामने रखा था। उन्होंने कहा, कि उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करके देश के अन्य राज्यों के लिए भी पथ प्रदर्शित करने का कार्य करेगा। सीएम धामी ने प्रेसवार्ता में कहा, कि आज उत्तराखंड के लिए विशेष दिन है। मैं विधानसभा के सभी सदस्यों, जनता का आभार व्यक्त करता हूं। उनके समर्थन से ही हम आज ये कानून बना पाए हैं।
सीएम धामी ने कहा, कि विधेयक में शादी, तलाक, विरासत और गोद लेने से जुड़े मामलों को ही शामिल किया गया है। इन विषयों, खासतौर पर विवाह प्रक्रिया को लेकर जो प्राविधान बनाए गए है, उनमें जाति, धर्म अथवा पंथ की परंपराओं और रीति रिवाजों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है। वैवाहिक प्रक्रिया में धार्मिक मान्यताओं पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। धार्मिक रीति-रिवाज जस के तस रहेंगे। ऐसा भी नहीं है कि शादी पंडित या मौलवी नहीं कराएंगे। खान-पान, पूजा-इबादत, वेश-भूषा पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
समान नागरिक संहिता बिल लागू होने के बाद विवाह का रजिस्ट्रेशन कराना जरुरी, अन्य क्रमशः निम्नलिखित
- विधेयक में 26 मार्च वर्ष 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण का प्रावधान।
- पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान।
- पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
- विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष तय की गई है।
- महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
- हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया गया है। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
- कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
- एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
- पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
संपत्ति में बराबरी का अधिकार - संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।- जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
- नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
- गोद लिए, सरगोसी के द्वारा असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
- किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
- कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
- लिव इन रिलेशनशिप का पंजीकरण कराना अनिवार्य
- लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
- युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
- लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
- लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
- अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।