पर्वतीय राज्य देवभूमि उत्तराखंड में सोमवार (14 मार्च 2022) से फूलदेई का पर्व आरंभ हो गया है। प्रातः काल से ही छोटे बच्चे हाथों में फूलों की टोकरी लेकर लोगों के घरों की चौखट पर फूल डालने निकल पड़े है। इसी अवसर पर राजधानी देहरादून में कुछ बच्चे मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इस दौरान कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सीएम आवास में बच्चों के साथ लोकपर्व फूलदेई मनाया। फूल संक्रांति फूलदेई का पर्व चैत की संक्रांति के मौके पर राज्यभर में मनाया जाता रहा है।
कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने वाले फूलदेई पर्व की प्रदेशवादियों को शुभकामनाएं दी और राज्य की सुख- समृद्धि की मनोकामना की। कार्यक्रम के दौरान, कार्यवाहक मुख्यमंत्री ने कहा, कि फूलदेई उत्तराखंड की संस्कृति एवं परंपराओं से जुड़ा मुख्य पर्व है। सीएम धामी ने कहा, कि किसी भी राज्य की संस्कृति एवं परंपराओं की पहचान में लोक पर्वों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हमें सदैव अपने लोक पर्वों एवं लोक परम्पराओं को आगे बढ़ाने की दिशा में निरंतर प्रयास करने होंगें।
आज पर्वतीय संस्कृति संरक्षण समिति के माध्यम से मुख्यमंत्री आवास में बच्चों के साथ लोकपर्व फूलदेई मनाया। इस दौरान फूलदेई एवं विभिन्न मंगल गीतों के गायन द्वारा प्रदेशवासियों के सुख-समृद्धि की कामना की। pic.twitter.com/AhDOm13N7h
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) March 14, 2022
वहीं उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ सत्ता में वापसी करने वाले यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी फूलदेई लोकपर्व पर उत्तराखंड ने नागरिकों शुभकामनाएं देते हुए कहा, कि प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते देवभूमि उत्तराखंड के पावन लोक पर्व ‘फूलदेई’ की आप सभी को हार्दिक बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है, कि ऊर्जा, उमंग व उल्लास का यह पर्व आप सभी के जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का संचार करे। सम्पूर्ण सृष्टि सर्जनात्मक ऊर्जा से अभिसिंचित हो।
प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करते देवभूमि उत्तराखंड के पावन लोक पर्व 'फूलदेई' की आप सभी को हार्दिक बधाई।
ईश्वर से प्रार्थना है कि ऊर्जा, उमंग व उल्लास का यह पर्व आप सभी के जीवन में सुख, शांति व समृद्धि का संचार करे।
सम्पूर्ण सृष्टि सर्जनात्मक ऊर्जा से अभिसिंचित हो।
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) March 14, 2022
प्रकृति संरक्षण को समर्पित फूल देई का पर्व
उल्लेखनीय है कि शरद ऋतु और गर्मी के आगमन के बीच के मौसम में फ्यूंली, बुरांश और बासिंग के पीले, लाल, सफेद फूल खिलने के समय उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में लोक पर्व फूलदेई पूरे उत्साह से मनाया जाता है। चैत्र की संक्रांति से पूरे माह तक छोटे बच्चे घरों और मंदिरों की चौखटों पर रंग-बिरंगे फूलों को रखते है। भारतीय वैदिक सनातन संस्कृति में प्रत्येक संक्रांति को पर्व के रूप में मनाया जाता है, लेकिन चैत्र संक्रांति के दिन प्रकृति संरक्षण को समर्पित फूल देई का पर्व मनाने की परंपरा है।
छोटे बच्चे सूर्योदय से पूर्व घरों और मंदिरों की देहरी पर डालना शुरू कर देते है, पुष्प
फूलदेई लोकपर्व के दौरान पूरे महीने घरों की देहरी पर फूल डालने जाते है। देहरी पर फूल डालने वाले छोटे बच्चो को फुलारी कहकर बुलाया जाता है। फूलदेई संक्रांति पर कस्बो और गांव के बच्चे प्रातः काल भोर में ही उठकर खेत-खलिहानों के निकट खिले रंग-बिरंगे फूल चुनकर सूर्योदय से पूर्व घरों की देहरी पर डालना शुरू कर देते है। इस दौरान छोटे बच्चे ने गांव और कस्बो की ओर निकलकर ‘फू देई छम्मा देई दैणी, द्वारभर भकार यो देई सौं, बारंबार नमस्कार… लोकगीत गाते हुए आस-पास के घरों और मंदिरों की देहरी पर फूल डालते है। लोग भी बच्चों को आशीर्वाद के साथ भेंट स्वरूप मिठाई और दक्षिणा देते है।