उत्तराखंड में अब हवाई सुविधाओं को बेहतर करने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में हेलीपैड बनाने की दिशा में कदम आगे बढ़ाए जा रहे है। इस योजना के संबंध में शीघ्र ही उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) निजी क्षेत्र से एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआइ) आमंत्रित करने जा रहा है। इसके लिए इच्छुक व्यक्तियों स्वयं अथवा सरकार के सहयोग से हेलीपैड बनाने के लिए आवेदन कर सकेंगे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हेलीपैड किन जगहों में बनने हैं, इसके लिए जल्द ही यूकाडा निजी क्षेत्र से ईओआई आमंत्रित करने जा रहा है। नई नीति के तहत आम जनता भी अपनी निजी जमीन पर हेलीपैड बनवा सकती है। दरअसल वन क्षेत्र में पड़ने की दिक्कतों के मद्देनजर धामी सरकार ने हाल ही में निजी क्षेत्र के जरिये हेलीपैड अथवा हेलीपोर्ट बनाने के लिए नई नीति बनाई है।
यूकाडा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सी रविशंकर ने मीडिया को जानकारी दी, कि निवेशक सम्मेलन में भी कुछ निवेशकों ने हेलीपोर्ट बनाने में रुचि दिखाई है। ऐसे में अगले महीने स्थानों की सूची जारी कर ईओआई आमंत्रित किए जाएंगे। अब इस नीति को धरातल पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इस क्रम में प्रदेश सरकार जनवरी में उन स्थानों के लिए ईओआई जारी करने की तैयारी कर रही है जहां हेलीपैड बनाने की आवश्यकता अधिक महसूस की जा रही है। इससे इन स्थानों पर हेली सेवाओं का संचालन शुरू किया जा सकेगा।
नई नीति के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति स्वयं अथवा किसी भूमि को लीज पर लेकर हेलीपोर्ट बना सकता है। इसके लिए सरकार की ओर से 50 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रविधान किया गया है। इसके साथ ही नई नीति में यह व्यवस्था भी की गई है, कि यदि कोई स्वयं हेलीपैड अथवा हेलीपोर्ट बनाने में सक्षम नहीं है, तो वह सरकार को यह भूमि 15 वर्ष की लीज पर दे सकता है। इसके लिए उसे वार्षिक शुल्क के साथ ही इससे होने वाले लाभ का एक हिस्सा भी दिया जाएगा।
15 वर्ष बाद उसे वह भूमि व हेलीपोर्ट वापस मिल जाएगा। हेलीपैड कहां बनाए जाने हैं, इसके लिए यूकाडा जगह तय कर आवेदन आमंत्रित करेगा। गौरतलब है, कि प्रदेश सरकार लगातार हेली सेवाओं का विस्तार कर रही है। विशेष तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में हेली सेवा देना सरकार की प्राथमिकता में शामिल है। इसके लिए तमाम प्रयास भी किए गए, लेकिन भूमि संबंधी दिक्कतों के चलते इसमें अधिक सफलता नहीं मिल पाई है।