विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा के दर्शन 16 अक्टूबर से भक्तों के लिए खुल जाएंगे। भारतीय पुरातत्व विभाग ने तीन माह के बाद पाताल भुवनेश्वर गुफा को खोलने का आदेश जारी किया है, जिसके तहत भक्त बुधवार से गुफा के दर्शन कर सकेंगे।
बता दें, कि स्वास्थ्य और सुरक्षा की दृष्टि से विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा में एक अगस्त से 15 अक्टूबर तक पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक के आदेश पर मंदिर कमेटी ने लगभग ढाई महीने के लिए गुफा को बंद करने का निर्णय लिया था।
पाताल भुवनेश्वर एक प्राकृतिक गुफा है, जो उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ जिले में गंगोलीहाट नगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर जमीन से 90 फीट नीचे स्थित है। कहते हैं कि धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस प्राचीन गुफा की खोज जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने 822 ई. के आसपास की थी। उन्होंने यहां तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया था।
मंदिर समिति के अध्यक्ष नीलम भंडारी ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से जुलाई से गुफा को बंद कर दिया था, जिसे 16 अक्तूबर से खोल दिया जाएगा। भारतीय पुरातत्व विभाग ने तीन माह के बाद पाताल भुवनेश्वर गुफा को खोलने का आदेश जारी किया है, जिसके तहत भक्त बुधवार से गुफा के दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान कमेटी महासचिव जगत रावल, केदार सिंह भंडारी आदि मौजूद रहे।
पौराणिक शास्त्रों में इस मंदिर के बारे में कहा जाता है, कि सूर्य वंश के राजा और त्रेतायुग में अयोध्या पर शासन करने वाले राजा ऋतुपर्णा ने इस प्राकृतिक गुफा की खोज की थी। जिसके बाद उन्हें इस स्थान पर नागों के राजा के अवशेष मिले थे, ऐसा कहा जाता है कि इंसानों द्वारा मंदिर की खोज करने वाले राजा ऋतुपर्णा पहले व्यक्ति थे।
वहीं द्वापर युग में पांडवों द्वारा इस गुफा को फिर से ढूंढ लिया गया, जहां वे इस गुफा के पास भगवान शिव की पूजा करते थे। वहीं एक अन्य उल्लेख के अनुसार, स्वयं महादेव शिव पाताल भुवनेश्वर में रहते हैं और अन्य देवी-देवता उनकी पूजा करने इस दिव्य स्थान पर आते है। वहीं जगदगुरु आदि शंकराचार्य द्वारा लगभग 822 ईसवीं में इस गुफा में तांबे का एक शिवलिंग स्थापित किया गया जो आज भी विराजमान है।