उत्तराखंड पुलिस ने पिछले दो दशकों से लगातार फरार चल रहे अपराधी को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। कोतवाली किच्छा क्षेत्र में नाबालिग के अपहरण के मामले में बीते 21 वर्षों से फरार 25 हजार के इनामी अभियुक्त को ऊधमसिंहनगर पुलिस ने बिहार बॉर्डर से गिरफ्तार कर लिया। 40 साल की उम्र में किए अपराध के बाद आरोपी पूरी जिंदगी पुलिस से बचने के लिए भागता रहा।
इन बीते 21 सालों में अपराधी चोर-पुलिस की इस रेस में आगे रहा, लेकिन आखिरकार बुढ़ापे में कदम रखते ही कानून सुरेंद्र महतो दबोचने में सफल रहा। हालाँकि सुरेंद्र महतो को पुलिस से बचने के फेर में कहीं चैन नहीं मिला और वह ताउम्र भटकता रहा। बीते शनिवार को जब पुलिस वांछित को गिरफ्तार करने देवरिया के ग्राम महुवा पहुंची, तो सुरेंद्र महतो एकबारगी भौचक्का रह गया।
एसएसपी ने अपनी कुशल रणनीति का मनवाया लोहा…
21 साल से लगातार फरार चल रहे अपराधी को पहुंचाया सलाखों के पीछे ..
नाबालिग के अपहरण के पिछले 21 वर्षों से फरार ₹ 25 हजार के इनामी, वांछित/ मफरूर अभियुक्त को ऊधमसिंहनगर पुलिस ने बिहार बॉर्डर से किया गया गिरफ्तार #UKPoliceStrikeOnCrime pic.twitter.com/adsEsykjHh— Udham Singh Nagar Police Uttarakhand (@UdhamSNagarPol) September 22, 2024
पुलिस के अनुसार, 12 मार्च 2003 को एक व्यक्ति ने थाना किच्छा उधम सिंह नगर थाने में शिकायत दर्ज करवाई की, कि उनकी 13 साल की नाबालिग पुत्री कक्षा 3 में पढ़ती है और रोज की तरह स्कूल गई थी। शाम को जब नाबालिग बेटी घर वापस नहीं लौटी, तो खोजबीन करने पर पता चला, कि उनकी पुत्री को सुरेंद्र महतो पुत्र सरल महत्व मूल निवासी थाना महुआ थाना बरमटियागंज जिला बिहार बहला फुसलाकर ले गया है।
इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ धारा 363/ 366 आईपीसी के तहत मुकदमा पंजीकृत किया गया था। वहीं 14 अक्टूबर 2004 को अभियुक्त सुरेंद्र महतो को माननीय न्यायालय द्वारा फरार घोषित कर दिया। बीते दो दशकों में उत्तराखंड पुलिस ने आरोपी को पकड़ने के लिए चार राज्यों की खाक छानी। यूपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में सर्च अभियान के अलावा पुलिस ने वहां मुखबिरों का नेटवर्क भी एक्टिव किया हुआ था।
वक्त बीतने के साथ-साथ मामला ठंडा होता गया, लेकिन हाल ही में एसएसपी मणिकांत मिश्रा द्वारा फरार इनामी अपराधियों की फाइलों में दबी सुरेंद्र मेहतो की फरारी का संज्ञान लिया और फरार चल रहे अभियुक्त की गिरफ्तारी का स्वतः संज्ञान लेकर 500 से 25000 की इनामी धनराशि में बढ़ोतरी करते हुए वांछित अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की।
विवेचना के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया, कि अभियुक्त सुरेंद्र महतो और उसके छोटे भाई छोटेलाल द्वारा नाबालिग का अपहरण किया। 2004 में अभियुक्त छोटेलाल को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। जबकि अभियुक्त सुरेंद्र महतो लगातार फरार चल रहा था। पुलिस को गोरखपुर के मुखबिर तंत्र से सूचना मिली, कि एक सुरेंद्र कुशवाहा नाम का व्यक्ति अपराधी के बेटे से मिलता है।
पुलिस ने जब उस व्यक्ति की कुंडली खंगाली तो धीरे-धीरे कड़ियाँ जुड़ती गई। पुलिस टीम को 21 सितंबर 2024 को सूचना मिली, कि अभियुक्त सुरेंद्र महतो देवरिया जिले में छिपकर रह रहा है। सूचना पर तत्काल संज्ञान लेते हुए पुलिस टीम ने अभियुक्त को ग्राम चंदौली थाना सुरौली जनपद देवरिया उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ के दौरान अभियुक्त सुरेंद्र महतो ने बताया, कि लगभग 40 साल की उम्र में उसने छोटे भाई के कहने पर नाबालिग को बिहार भगा ले जाने की गलती की थी। इस मामले में उसका छोटा भाई तो पकड़ा गया, लेकिन वो पुलिस से बचने के लिए झारखंड पहुंच गया। इस दौरान उसने वर्ष 2004 से 2012 तक धान रोपने का काम किया। पुलिस से छिपने के दौरान उसने परिवार से मिलना तो दूर किसी से संपर्क तक नहीं साधा।
अपराधी ने जिस वक्त वारदात को अंजाम दिया था, उस दौरान उसका एक बेटा था। उसके बाद एक बेटी भी पैदा हो गई। कानून के फंदे को ढीला समझकर वर्ष 2013 में परिवार से संपर्क साधा, तो पता चला, कि अब उसका बेटा बड़ा हो गया है और गोरखपुर में रह रहा है। इस पर वह चोरी छिपे गोरखपुर आकर बेटे से मिला। हालाँकि उसने बेटे को किसी को भी उसकी पहचान बताने से मना किया।
इसके बाद अपराधी सुरेंद्र कुशवाहा नाम से शहर में ही रहकर मजदूरी करने लगा। इस बीच उसके दोनों बच्चोें का विवाह भी हो गया। उसे इस बात का तनिक भी आभास नहीं था, कि दो दशक पुराने मामले में बुढ़ापे में उसे जेल की सलाखों के पीछे जाना पड़ेगा। जवानी के जोश में अपराध को अंजाम देने वाला सुरेंद्र महतो का जब सच्चाई से सामना हुआ तब तक वह बूढ़ा हो गया।
पुलिस उसकी पहचान के लिए फोटो का सहारा तो लेती थी, साथ ही उसके बेटे की गतिविधियों पर भी निगरानी रखती। सुरेंद्र जब झारखंड से गोरखपुर आकर रहा तो अपने से बेटे से मिलने लगा। इतने साल बीत गए तो, सुरेंद्र को लगा, कि पुलिस अब उसे कभी गिरफ्तार नहीं कर पाएगी। हालाँकि जल्द ही पुलिस को मुखबिर तंत्र से सूचना मिली, कि गोरखपुर में एक सुरेंद्र कुशवाहा नाम का व्यक्ति अपराधी के बेटे से मिलता है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 21 साल पुराने मामले में फरार अपराधी को पकड़ने के लिए एसएसपी द्वारा जो टीम गठित की गई थी, उसमें शामिल एसएसआई उमेश कुमार एसटीएफ व देहरादून एसओजी में रह चुके है। उन्होंने इस मामले की तफ्तीश के लिए गोरखपुर पुलिस, देवरिया पुलिस तक से संपर्क साधा और कई दिनों तक इन जिलों में रहकर काम किया।