उत्तराखंड पुलिस मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देश के बाद प्रदेश में बड़े पैमाने पर सत्यापन अभियान चला रही है। दरअसल, देवभूमि उत्तराखंड में बढ़ते आपराधिक घटनाओं में बाहरी राज्यों के लोगों के शामिल होना सामने आया है। इसी क्रम में ग्रामसभा रायवाला में अपनी पहचान छुपाकर रह रही संदिग्ध महिला को पुलिस ने हिरासत में लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस की प्रारंभिक जांच में ज्ञात हुआ है, कि महिला मुस्लिम है और वह हिंदू नाम से क्षेत्र में डांडी कोयलघाटी मार्ग पर रायवाला गांव में किराए पर कमरा लेकर रह रही थी। गांव के प्रधान ने महिला की गतिविधियों पर शक होने पर इसकी सूचना पुलिस को दी। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने जब संदिग्ध महिला से पूछताछ कर उसके आधार कार्ड व स्कूली दस्तावेजों की जांच की, तो सभी में उसका नाम रानी मंसूरी दर्ज मिला।
वहीं संदिग्ध मुस्लिम महिला के आधार कार्ड में उसके शौहर का नाम भी दर्ज नहीं था। महिला ने पड़ोसियों को मौखिक रूप से अपने आप को टिहरी जिले का रहने वाला बताया था, जबकि आधार कार्ड में उसका पता ग्राम खारी झालू जिला बिजनौर उत्तर प्रदेश था। रायवाला के ग्राम प्रधान सागर गिरी ने बताया, कि महिला श्रम कार्ड बनाने के नाम पर स्थानीय लोगों को गुमराह करती थी।
इसके साथ ही वह इलाके में पूजन सामग्री भी बेचती थी। ग्राम प्रधान ने बताया, पहचान छुपाकर क्षेत्र में रह रही महिला एक रीजनल पार्टी की पदाधिकारी भी थी और वह स्थानीय लोगों को संगठन की सदस्यता दिला रही थी। ग्राम प्रधान की जागरूकता और इस मामले के खुलासे के बाद पुलिस द्वारा चलाये जा रहे किराएदारों की सत्यापन प्रक्रिया पर भी सवाल उठने लगे हैं।
बता दें, कि सीएम धामी के सख्त निर्देशों के बाद उत्तराखंड पुलिस ने बड़े स्तर पर सत्यापन अभियान शुरू किया है। वेरिफिकेशन अभियान के दौरान यदि कोई शख्स राज्य में बिना सत्यापन के रह रहा है, तो उसके विरुद्ध पुलिस कड़ी कार्रवाई की जाएगी। अन्य राज्यों से आने वाले लोगों को अपना आधार कार्ड, अपने परिवार का पूर्ण ब्यौरा, गांव, तहसील तक की जानकारी और शिक्षा से संबंधित दस्तावेज भी पुलिस को दिखाने होंगे।
इसके अलावा बाहरी राज्यों से आये संबंधित शख्स को अपने जिले अथवा कस्बे में स्थित नजदीकी पुलिस स्टेशन में भी इस बात की पुष्टि करनी होगी, कि उक्त व्यक्ति के विरुद्ध किसी तरह का कोई आपराधिक मुकदमा राज्य में पंजीकृत नहीं है। अर्थात बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में आकर काम करने वाले लोगों को यह सभी जानकारियां उत्तराखंड पुलिस को अनिवार्य रूप से देनी होगी।