देवभूमि उत्तराखंड में दोबारा प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने पहली कैबिनेट बैठक में यूनिफॉर्म सिविल कोड के लिए कमेटी का गठन किया था। वहीं राज्य की जनता चुनाव से पहले धामी सरकार द्वारा गठित भू-कानून में संशोधन के लिए कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। बता दें, उत्तराखंड चुनाव से पहले भू-कानून में सुधार के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया गया था, जो अपनी रिपोर्ट मई के अंत या जून के पहले हफ्ते में सरकार को सौंप सकती है।
वहीं, राज्य निर्माण के बाद अब तक निवेश और अन्य सामाजिक उद्देश्यों के लिए आवंटित सरकारी जमीन का सच सामने आने के बाद भू कानून के अध्ययन और परीक्षण के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के पांव तले जमीन खिसक गई। बताया जा रहा है, कि कई जिलों से प्राप्त रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है, कि कुछ मामलों में जमीन जिस मकसद के लिए आवंटित कराई गई, उस जमीन पर निजी फायदे के लिए कुछ और ही बना दिया गया। उद्योग और इंडस्ट्री लगाने के नाम पर आवंटित भूमि पर प्लाटिंग तक कर दी गई।
बात दें, भू- कानून के लिए गठित समिति ने वर्ष 2003 के बाद भू-उपयोग के संबंध में सभी जिलों को रिपोर्ट प्रस्तुत करने निर्देश जारी किये थे। जानकारी के अनुसार, गढ़वाल और कुमाऊं मंडल से रिपोर्ट समिति को प्राप्त हो चुकी है। इसके बाद कमेटी के सदस्यों को इस रिपोर्ट को अध्ययन के लिए भेजा गया था। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में सभी जिलों में भूमि का निर्धारित उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किये जाने की होने की जानकारी सामने आई है। राजधानी देहरादून समेत कुछ जिलों में औद्योगिक, शिक्षण संस्थाओं के लिए आवंटित भूमि का व्यावसायिक रूप से आवासीय उपयोग के मामले भी सामने आए है।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, भू-कानून कमेटी के अध्यक्ष सुभाष कुमार ने जानकारी देने हुए बताया, कि जनपदों से प्राप्त रिपोर्ट पर समिति की बैठक में चर्चा प्रस्तावित है। इस समीक्षा बैठक के बाद अगले 15 दिनों के भीतर कमेटी अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देगी। इसके बाद कमेटी द्वारा इस रिपोर्ट को सरकार को सौंपा जाएगा। सुभाष कुमार ने बताया, कि देहरादून जिले से प्राप्त रिपोर्ट में भू-उपयोग को लेकर असमानताएं नजर आयी गई है। इस वजह से रिपोर्ट को जिले को लौटाया गया है, और शीघ्र ही स्पष्ट रिपोर्ट कमेटी को भेजने के आदेश दिए गए है।
बता दें, भू-कानून के अध्ययन और समीक्षा को लेकर गठित कमेटी अब तक लगभग पांच अहम बैठकें कर चुकी है। भू-कानून के लिए गठित कमेटी ने आम जनता से भी सुझाव मांगे थे। बताया जा रहा है, समिति के पास अब तक करीब दो सौ से अधिक सुझाव आ चुके है, जिनका कमेटी द्वारा अध्ययन हो चुका है। बताया जा रहा है, की कमेटी मई के अंतिम सप्ताह तक अपनी सिफारिशें तय कर देगी, और इस अवधि में या जून के प्रथम सप्ताह कमेटी राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।