यमुनोत्री धाम में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाते हुए नई गाइडलाइन जारी की है। यमुनोत्री धाम में पैदल यात्रा मार्ग पर यात्रियों की आवाजाही को सुगम और सुरक्षित ढंग से संचालन किये जाने हेतु जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत एक आदेश जारी किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई की एक्स पोस्ट के अनुसार, “जानकी चट्टी से यमुनोत्री और यमुनोत्री से जानकी चट्टी तक जाने वाले घोड़ों और खच्चरों की अधिकतम संख्या 800 निर्धारित की गई है। इस मार्ग पर घोड़ों और खच्चरों की आवाजाही का समय सुबह 4 बजे से शाम 5 बजे तक निर्धारित किया गया है।”
As per the order passed, the maximum number of horses and mules going from Janki Chatti to Yamunotri and Yamunotri to Janki Chatti has been fixed at 800. The time for movement of horses and mules on this route has been fixed from 4 am to 5 pm.
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 21, 2024
यमुनोत्री धाम का पैदल यात्रा मार्ग संकरा होने के कारण भीड़ नियंत्रण, जानमाल के खतरे का अंदेशा जताया गया है। जिसको देखते हुए उप जिलाधिकारी, बड़कोट, पुलिस उपाधीक्षक, बड़कोट एवं अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत, उत्तरकाशी की संयुक्त रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है।
आदेश के अनुसार, घोड़े-खच्चरों की संख्या 800 पूर्ण होने के बाद घोड़े-खच्चर उसी अनुपात में जानकी चट्टी से भेजे जायेंगे, जिस अनुपात में यमुनोत्री से वापस आएंगे। प्रत्येक घोड़े-खच्चर के प्रस्थान, दर्शन तथा वापसी के समय की अवधि कुल पांच घंटे की होगी। आदेश में कहा गया है, कि पांच घंटे से अधिक कोई भी घोड़ा-खच्चर किसी भी दशा में यात्रा मार्ग पर नहीं रहेगा।
जिला प्रशासन ने यात्री द्वारा यमुनोत्री धाम पहुंचने पर दर्शन आदि के लिए 60 मिनट का समय निर्धारित किया है। इस संबंध में मंदिर परिसर में तैनात स्वयंसेवको को व्यवस्था बनाये जाने के निर्देश दिए गए है। आदेश में यह बताया गया है, कि अपरिहार्य स्थिति को छोड़ते हुये घोड़ा-खच्चर संचालक 60 मिनट का इंतजार करने के बाद घोड़ा पड़ाव में तैनात जिला पंचायत के कर्मी से अनुमति प्राप्त कर यात्री के बिना वापस लौट आयेगा। घोड़े खच्चर का संचालन प्रीपेड काउंटर से ही किया जायेगा।
जिला प्रशासन ने जानकी चट्टी से यमुनोत्री आने-जाने वाली डंडी की संख्या अधिकतम 300 निर्धारित की है। डंडी के आवागमन का समय सुबह 4 बजे से सायं 4 बजे तक निर्धारित किया गया है और इसके लिए अधिकतम छह घंटे निर्धारित है, इन्हें 50 के लॉट में छोड़ा जायेगा। एक लॉट को छोड़े जाने के बाद ही दूसरा लॉट एक घंटे के अंतराल में रोटेशन अनुसार छोड़ा जायेगा।
डंडी का संचालन बिरला धर्मशाला से किया जायेगा, अन्यत्र किसी भी स्थान से संचालन की अनुमति नहीं दी जायेगी। आदेश के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति द्वारा इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो उसका यह कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के अन्तर्गत दंडनीय होगा।