पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा विधायक रहे केदार सिंह फोनिया का शुक्रवार (14 अक्टूबर 2022) को निधन हो गया है। 92 वर्षीय फोनिया देहरादून स्थित नेहरू कॉलोनी में निवास कर रहे थे। पिछले कुछ समय से अस्वथ चल रहे फोनिया ने आज शुक्रवार सुबह अंतिम सांस ली। फोनिया यूपी और उत्तराखंड के समय बद्रीनाथ सीट से विधायक रह चुके है। इसके अलावा वे यूपी में कल्याण सिंह सरकार में पर्यटन राज्य मंत्री भी रह चुके थे।
केदार सिंह फोनिया के निधन की सूचना से प्रदेश भाजपा में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फोनिया के निधन पर शोक जताते हुए अपने ट्विटर सन्देश में लिखा, “भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री केदार सिंह फोनिया जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। भगवान दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिवार को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें।’
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री श्री केदार सिंह फोनिया जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है।
भगवान दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोकाकुल परिवार को यह असीम कष्ट सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
ॐ शांति: शांति: शांति: pic.twitter.com/yXHTvO0iIr
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) October 14, 2022
वहीं, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए अपने सन्देश में लिखा, “पार्टी संगठन एवं राज्य के विकास में केदार सिंह फोनिया जी का योगदान हमेशा अविस्मरणीय रहेगा। वे एक समर्पित जन नेता के तौर पर सदैव याद किए जाएंगे।”
बद्रीनाथ विधानसभा के पूर्व विधायक,उत्तरप्रदेश एवम उत्तराखण्ड राज्य के पूर्व कैबिनेट मंत्री आदरणीय श्री केदार सिंह फोनिया जी के निधन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ ।
भगवान बद्रीनाथ पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें।
ॐ शांति। pic.twitter.com/yNflMn2a2Y— Ritu Khanduri Bhushan (@RituKhanduriBJP) October 14, 2022
उल्लेखनीय है, कि 1992 में अयोद्धा राम मंदिर आंदोलन के दौरान, मंदिर परिसर की जमीन अधिगृहित करने के आदेश पर बतौर पयर्टन मंत्री केदार सिंह फोनिया ने साइन किए थे। फोनिया को 2012 में भाजपा ने टिकट नहीं दिया, तो उन्होने भाजपा छोड़कर, उत्तराखंड रक्षा मोर्चा का दामन थाम लिया था। हालांकि 2019 में वो पुनः भाजपा में शामिल हो गए थे।
फोनिया ने 1969 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्दलीय चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे। तब 1991 में विधानसभा चुनाव लड़े और यूपी में कल्याण सिंह की सरकार में पर्यटन मंत्री रहे। वर्ष 1993 और 96 में हुए विधानसभा चुनाव में भी जीत गए थे। उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद अंतरिम सरकार में भी वे लोक निर्माण विभाग और पर्यटन मंत्री रहे। उत्तराखंड में 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत दर्ज की थी, लेकिन खंडूरी सरकार की कैबिनेट में वे शामिल नहीं हो पाए थे।