भारत में मैनुअल स्कैवेंजिंग यानी सीवर की सफाई के दौरान हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2018 से 2022 के बीच सीवर लाइन के मेनहोल की सफाई में लगभग 300 से अधिक लोगों को जहरीली गैस से अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब इस प्रकार की अनहोनी से बचने के लिए जल संस्थान विभाग राजधानी देहरादून में रोबोटिक स्किविजिंग मशीन की मदद लेने जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल संस्थान की साउथ डिवीजन की ओर से रोबोटिक सीवर क्लीनिंग मशीन खरीदने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट ने अमर उजाला को बताया, कि यह एक ऐसी तकनीक है, जो सीधे सीवर के मेनहोल तक ले जाई जाएगी। इस मशीन को केरल के युवाओं की स्टार्टअप कंपनी ने तैयार किया है।
रोबोटिक सीवर क्लीनिंग मशीन को सीवर के मेनहोल पर ले जाने के बाद मशीन की भुजाओं वाला हिस्सा भीतर चला जाएगा, जिसमें लगे कैमरे भीतर की लाइव स्थिति बाहर स्क्रीन पर दिखाएंगे। इससे ये भी आसानी से ज्ञात हो सकेगा, कि कहां कचरा, पत्थर या रेत फंसने की वजह से सीवर लाइन बंद है। इस तकनीक की सहायता से गंदगी को सरलता से बाहर निकाला जा सकेगा। मेनहोल साफ होने पर सीवर आगे बढ़ जायेगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मेनहोल क्लीनिंग रोबोट में 36 कैमरे फिक्स किये गए है, जो सीवर लाइन के अंदर घुसकर गंदगी जमा होने की सही लोकेशन को बाहर स्क्रीन पर प्रदर्शित कर सकता है। रोबोट की भुजाएं 80 फीट गहराई में भी कचरे को निकालकर बाहर ला सकती है। यह सीवर मेनहोल में फंसे कचरे, पत्थर, रेत को भी निकालकर बाहर कर सकता है।
गौरतलब है, कि अभी तक सीवर के मेनहोल में फंसे कचरे को निकालने के लिए कर्मचारी या तो बांस घुसाकर पानी खोलते है, या फिर स्वयं अपनी जान जोखिम में डालकर सीवर के भीतर घुसकर मेनहोल की गंदगी बाहर निकालते है। इस दौरान राज्य में कई ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जब मेनहोल में मौजूद जहरीली गैस की वजह से कर्मचारियों की मौत तक हो गई। इस रोबोटिक तकनीक के माध्यम से कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
जल संस्थान का रोबोट से मेनहोल साफ करने का यह प्रयास सफल रहा, तो आने वाले दिनों में अन्य शहरों में भी इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा। देश के करीब 20 राज्यों में इस मशीन से मेनहोल की सफाई की जा रही है। इसकी कीमत लगभग 32 से 40 लाख रुपये बताई जा रही है।