सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड विधानसभा कर्मचारियों की विशेष याचिका को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को उचित ठहराया है। उल्लेखनीय है, कि सर्वोच्च अदालत से पूर्व नैनीताल उच्च्च न्यायालय ने भी विधानसभा कर्मचारियों को बर्खास्त किये जाने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को सही बताया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड विधानसभा सचिवालय का सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रख वाले अधिवक्ता वकील अमित तिवारी ने मीडिया को जानकारी दी, कि वर्ष 2021 में विधानसभा में तदर्थ रूप से नियुक्त हुए 72 कर्मचारियों द्वारा दायर याचिका को आज शुक्रवार (19 मई 2023) को सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच के न्यायाधीश हृषिकेश रॉय और न्यायाधीश मनोज मिश्रा ने मामले में सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज करते हुए उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को सही ठहराया है।
विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण खंडूड़ी ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अपने ट्विटर संदेश में कहा, “मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर लिए गए मेरे फैसले को सही ठहराया।”
"मैं माननीय सर्वोच्च न्यायालय का आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर लिए गए मेरे फैसले को सही ठहराया। "#विधानसभा_अध्यक्ष #उत्तराखंड pic.twitter.com/LWMt4MyzxE
— Ritu Khanduri Bhushan (@RituKhanduriBJP) May 19, 2023
जानकारी के लिए बता दें, कि विधानसभा अध्यक्ष रितु भूषण खंडूड़ी ने विधानसभा सचिवालय में नियमों के खिलाफ तदर्थ नियुक्तियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए वर्ष 2016 से 2021 में तदर्थ आधार पर नियुक्त 228 कर्मचारियों की विशेषज्ञ जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर सेवाएं समाप्त कर दी थी।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दलील दी थी, विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच हुई है जिनको नियमित किया जा चुका है। याचिका में कहा गया था, कि 2014 तक तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई, लेकिन उन्हें छह वर्ष के बाद भी नियमित नहीं किया और अब उन्हें नौकरी से हटा दिया गया है।